ब्लैक फंगस से डरने की जरूरत नहीं है। यदि इसकी समय पर पहचान होकर सही उपचार हो तो मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी निवासी महिला ने कोरोना के साथ-साथ ब्लैक फंगस को भी मात दी है। वहीं एम्स पटना में कोविड के साथ ब्लैक फंगस (म्यूकर मायकोसिस) से पीड़ित चार मरीजों का इलाज अभी चल रहा है।

आंख और नाक में भी ब्लैक फंगस की पुष्टि

मरीज पहले से बेहतर है। उसे चार-पांच दिनों में ही डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। मरीज को पॉजिटिव होने के बाद छह मई को भर्ती कराया गया था। वहां जांच में आंख और नाक में भी ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई। इसके बाद उपचार आरंभ हुआ। अब महिला स्वस्थ है

ऑपरेशन की भी सुविधा

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि ब्लैक फंगस के संक्रमित मरीज को इंडोस्कोपिक विधि से नाक से फंगस को काट कर निकाला जा सकता है। सामान्यत: कोरोना के साथ-साथ मरीजों को पहले से ब्लड शुगर, टीबी, एचआइवी, हेपेटाइटिस बी या लेप्रोसी की शिकायत हो। इसके बाद वह कोरोना पॉजिटिव होते हैं तो मरीज को कोरोना कंट्रोल करने के लिए स्टेरॉयड चलाई जाती है। इसके कारण मरीज को फंगस संक्रमण का प्रकोप बढ़ जाता है।

जानें क्या है बीमारी के लक्षण

दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश के बाद अब बिहार में भी ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं। राहत की बात यह है कि बुधवार को एक महिला इस बीमारी से स्वस्थ भी हो चुकी है। ब्लैक फंगस बीमारी के लक्षण हैं नाक बंद होना, नाक से खून या काला पदार्थ आना। नाक के आसपास काले धब्बे पड़ना, आंखों में सूजन होना और दर्द, पलकों का गिरना और धुंधला दिखाई देना। बता दें कि कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस नाक, आंख व दिमाग पर सीधा हमला करता है। कई मामलों में तो आंखें तक निकालनी पड़ती हैं।

Input: Dainik Jaagran

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