कोरोना काल में प्रवासियों की गणना से लेकर क्वारंटाइन सेंटर की ड्यूटी अध्यापकों की जान पर भारी पड़ी है। पटना में अप्रैल माह के 30 दिनों में 28 शिक्षकों की मौत हुई है। कई कर्मचारियों की भी जान गई है, जो स्कूलों में तैनात रहे और कोरोना काल में विशेष ड्यूटी में लगाए गए थे। यह खुलासा शिक्षा विभाग की रिपोर्ट से हुआ है। कोरोना के खतरे के बीच अध्यापकों से राशन वितरण की मॉनिटरिंग के साथ संदिग्धों का पूरा लेखा जोखा तैयार कराया जा रहा है।

रिपोर्ट में दी गई है जानकारी

विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में जिला शिक्षा पदाधिकारी नीरज कुमार ने कहा है कि अत्यंत दुखद घटना है। पटना जिले में 28 शिक्षक कर्मियों की मौत कोविड 19 के कारण हुई है। उनका कहना है कि शिक्षकों की मौत से अपूरणीय क्षति हुई है। पत्र में उन्होंने शिक्षकों के परिवार को इस दुख की घड़ी में सहन शक्ति के लिए भी ईश्वर से प्रार्थना की है।

30 दिन में 28 टीचर और कर्मियों की मौत

पटना में 30 दिनों में जिन 28 शिक्षकों की मौत हुई है, उसमें बाढ़ के सहायक शिक्षक कमला सिन्हा, बाढ़ के सहायक शिक्षक राज कुमार राय, बेलछी के प्रखंड शिक्षक संजीत कुमार, महेंदू की अर्चना तिवारी, मोकामा के भुवन भास्कर, मसौढ़ी की कंचन कुमारी, मसौढ़ी के ही मुकेश प्रसाद, मनेर के संजीव कुमार मिश्र, बिहटा की रामेश्वरी कुमारी, विक्रम के राजेंद्र चौधरी, विक्रम की ही उरैशा खातून, पंडारक के सन्नी और दीपक कुमार, पुनपुन के शिवशंकर प्रसाद यादव, पुनपुन के ही सुनील कुमार, पटना सदर के देवदास, धनंजय कुमार, पटना सदर की उपासना, अजीत कुमार, अजय कुमार, विष्णु राम, दनियावां की सुनंदा सुमन, दानापुर के अब्दुल करीम अंसारी, दुल्हिन बाजार के चंद्रशेखर कुमार, चौक की गजाला, नौबतपुर के राम विनय और पटना के वासुदेव प्रसाद का नाम शामिल है।

इलाज छोड़ हर चुनौती पर लगाया

शिक्षक संगठनों का कहना है कि टीचरों और शिक्षा कर्मियों को बस केवल इलाज में नहीं लगाया गया, बाकी सब काम कराया गया। हर चुनौती में शिक्षा कर्मियों को लगा दिया जाता है। हर घर राशन वितरण की मॉनिटरिंग कराया गया। रेलवे स्टेशन पर प्रवासियों के आने के दौरान ड्यूटी पर व्यवस्था में लगाया गया। स्टेशन पर कोविड सेंटर पर लगाया गया। टेली-काउंसलिंग में लगा दिया गया। प्रदेश के कई जिलों में फाइन काटने में लगा दिया गया। प्रवासियों के बीच व्यवस्था देखने के लिए लगा दिया गया। टीचर और शिक्षाकर्मियों को गांव-गांव रजिस्टर लेकर गणना में लगा दिया गया। रेलवे प्लेटफार्म से लेकर फील्ड की हर ड्यूटी कराई गई।

अध्यापकों के साथ घरवालों की मुश्किल में जान

अध्यापकों और शिक्षाकर्मियों का डाटा तो तैयार करा लिया गया, लेकिन इस मुश्किल दौर में ड्यूटी से टीचर और शिक्षाकर्मियों का परिवार भी तबाह हुआ है। टीचरों की मौत के साथ उनके परिवार में भी मौत हुई, लेकिन इसका कोई आंकड़ा नहीं तैयार किया गया है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि कोरोना से टीचर की मौत का उसके परिवार पर कितना बड़ा असर पड़ा है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। संगठन इस मौत के पीछे ड्यूटी में बिना संसाधन के लिए लगाए जाने की नीति को जिम्मेदार ठहराया है।

Input: Dainik Bhaskar

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