बिहार में अनुदान पाने हेतु संबद्ध डिग्री कॉलेज तरह-तरह के खेल कर रहे हैं। हर साल करोड़ों का अनुदान पाने की होड़ में तमाम सरकारी नियम-परिनियम की ध’ज्जियां उड़ायी जा रही हैं। स्वीकृत सीटों से दो गुना छात्रों का दाखिला लेने और फिर तीन गुना छात्रों का परीक्षा में शामिल कराने जैसे फ’र्जीवाड़े सामने आते ही शिक्षा विभाग ने जांच करने का आदेश दिया है। श’क के दायरे में वो 10 विश्वविद्यालय भी आ गए हैं, जिन्होंने 222 संबद्ध डिग्री कॉलेजों की ग’ड़बड़ी करने में साथ दिया है। जांच की आंच अब प्रति कुलपतियों, कुलसचिवों, परीक्षा नियंत्रकों और कॉलेज निरीक्षकों तक पहुंच चुकी है।
कमोबेश सभी संबद्ध डिग्री कॉलेजों में अनियमितता
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा एक भी डिग्री कॉलेज नहीं पाया गया है, जिसे ‘क्लीन चिट’ दिया जा सके। कमोबेश सभी संबद्ध डिग्री कॉलेजों में अनियमितता पकड़ी गईं हैं। बड़ी संख्या में ऐसे कॉलेज हैं, जहां अस्थायी संबधन या बिना संबधन के हजारों की संख्या छात्रों का नामांकन किया गया और परीक्षा पास कराकर अनुदान का दावा सरकार से किया है। अनुदान प्रस्ताव की जांच में कई अनियमितताएं पकड़ी गईं हैं। संबंधित विश्वविद्यालयों से शिक्षा विभाग के प्रपत्र में दिए गए बिदुओं के आधार पर जांच रिपोर्ट 15 दिनों में मांगी गई है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सिर्फ स्वीकृत सीटों पर मिलेगा अनुदान
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि संबद्ध डिग्री कॉलेजों को अनुदान नहीं रोका जाएगा, लेकिन अनुदान नियम-परिनियम के आलोक में निर्धारित मानदंड की जांच पर खरा उतरने वाले कॉलेजों को ही दिया जाएगा। संबंधन प्राप्त कॉलेजों को जांच प्रक्रिया से गुजरना होगा। उतनी ही अनुदान राशि मिलेगी, जितनी सीटों पर नामांकन सरकार द्वारा स्वीकृत शैक्षणिक सत्रों, संकायों, विषयों एवं सीटों पर नियम-परिनियम के तहत लिया गया होगा।
1700 स्वीकृत सीटों के विरुद्ध 3456 नामांकन, परीक्षा में शामिल 5340
बीआरए बिहार विवि (मुजफ्फरपुर) में ऐसे दर्जन से ज्यादा कॉलेज के नाम सामने आए हैं, जहां जिन विषयों की मान्यता नहीं थी, उनमें भी 3786 छात्रों को परीक्षा दिलाकर पास कराया गया। यहां सर्वाधिक गड़बड़ी यह मिली कि एक कॉलेज में 1700 सीटें स्वीकृत थी, लेकिन वहां 3456 छात्रों का नामांकन लिया गया। मगर दिलचस्प यह कि इसी कॉलेज ने नामांकन के विरुद्ध 5340 छात्रों का परीक्षा फॉर्म भरवाकर उन्हें पास कराया।
इसी तरह मगध विवि (बोधगया), वीर कुंवर सिंह विवि (आरा), जय प्रकाश विवि (छपरा), बीएन मंडल विवि (मधेपुरा), तिलका मांझी भागलपुर विवि, मुंगेर विवि, पाटलीपुत्र विवि, एलएल मिश्र मिथिला विवि एवं कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि से 47 संबद्ध डिग्री कॉलेजों में ‘पास कोर्स’ की स्वीकृति के विरुद्ध ‘ऑनर्स कोर्स’ में छात्र-छात्राओं का दाखिला लिया और परीक्षा में उत्तीर्ण भी कराया।
लंबे अरसे से चली आ रही थी गड़बड़ी
वर्ष 2008 में बिहार सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सम्बद्ध डिग्री कॉलेजों को रिजल्ट के आधार पर अनुदान राशि देना आरंभ किया था। तभी अनुदान पाने की होड़ में ऐसे कॉलेजों ने गड़बड़ी शुरू कर दी। शैक्षणिक सत्र 2009-12 में रिजल्ट के नाम पर 288 करोड़ 37 लाख 19 हजार रुपये अनुदान दिया गया, लेकिन 78.45 करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग को नहीं दिया।
तब सीएजी ने आपत्ति की थी, लेकिन यह मामला जस का तस बना रहा। विभाग के एक आला अफसर ने स्वीकार किया कि शिक्षा माफिया के इस कारनामे से सरकार के भरोसे को धक्का पहुंचा है। सरकार ने सत्र 2009-12 में कॉलेजों को उनके उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के संख्या बल के दावे पर भरोसा कर अनुदान राशि दी थी। मगर इस भरोसे पर खरे नहीं उतरे। इस बार विवि और कॉलेज से संकाय और विषयवार, संबद्धन प्रमाण पत्र, स्वीकृत सीटों, नामांकन, रजिस्ट्रेशन एवं परीक्षा में शामिल छात्रों की संख्या आदि की जांच करायी जा रही है।
कैसी हैं अनियमितताएं, जानिए
– जिन डिग्री कॉलेजों को सरकार से संबद्धता की संपुष्टि नहीं हुई, उसे भी विवि द्वारा नामांकन लेने व परीक्षा कराने की छूट।
– अनुदान प्रस्ताव को बिना जांच किए विश्वविद्यालयों ने उसे शिक्षा विभाग को भेजा।
– संबंधन की अवधि विस्तार कराए बिना कॉलेजों ने विवि अफसरों की सांठगांठ से छात्रों को परीक्षा में शामिल कराया।
– जिन विषयों में मान्यता नहीं उसमें भी छात्रों का नामांकन।
Input : Dainik Jagran