बिहार कैबिनेट की आज हुई बैठक में कुल 18 प्रस्तावों पर मुहर लगायी गई। कैबिनेट के फैसलों में अहम फैसला ये लिया गया कि राज्य सरकार अब गवाहों को सुरक्षा प्रदान करेगी और इसके साथ ही न्यायालय के विभिन्न कोटि के 676 अराजपत्रित पदों और सुपौल के वीरपुर अनुमंडलीय न्यायालय में आठ अराजपत्रित पदों पर बहाली के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की गई।

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गवाहों को सुरक्षा देगी बिहार सरकार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शनिवार को हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य में गवाही सुरक्षा योजना-2018 पर सरकार की मुहर लग गई। अधिसूचना जारी होने के साथ ही पूरे प्रदेश में योजना लागू हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने योजना में गवाहों के साथ जरूरत के अनुसार पूरे परिवार की सुरक्षा को लेकर खास इंतजाम किए हैं। सरकार की कोशिश है कि मुकदमों में ट्रायल सफलतापूर्वक हो और गवाह कोर्ट में बेधड़क गवाही दे सकें। कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि बिहार गवाह सुरक्षा योजना-2018 की स्वीकृति मिली है। योजना से गवाहों को पूर्ण सुरक्षा दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय प्रावधान के तहत कोष की स्थापना की जाएगी। कोष में राज्य सरकार राशि जमा करेगी।

योजना में ‘खास प्रावधान

बकौल आमिर सुबहानी, गवाह पूरी तरह से सुरक्षित रहें इसको लेकर कई तरह के प्रावधान किए गए हैं। अगर कोई गवाह खतरे का अंदेशा जता कर  शिकायत करता है तो प्रशासन तत्काल कार्रवाई करेगा। योजना में गवाह के अलावा पूरे घर के अगल-बगल सीसीटीवी लगाए जा सकते हैं। घर पर पुलिस की तैनाती की जा सकती है। पुलिस गश्त बढ़ाई जा सकती है। गवाह की पहचान छुपाने का भी प्रावधान किया गया है। अगर गवाह को किसी प्रकार का खतरा हो तो उसके लिए एक पुलिसकर्मी को खास जिम्मेदारी दी जाएगी जो लगातार उसकी निगरानी करेगा। अगर गवाह को किसी तरह की परेशानी होगी तो वह तत्काल उस पुलिसकर्मी को सूचित करेगा। फिर भी अगर खतरा है तो उसे दूसरी जगह शिफ्ट भी किया जा सकता हैं। अगर गवाह कोर्ट रूम में अभियुक्त के सामने गवाही देने से कतराता हो तो व्यक्तिगत विचारण कक्ष में न्यायाधीश के सामने उसकी गवाही कराई जा सकती है। अधिक विवाद की स्थिति में कोशिश होगी कि कोर्ट में भी गवाह और अभियुक्त का आमना-सामना नहीं कराया जाए। सरकार की कोशिश होगी कि गवाह पूरी तरह से सुरक्षित रहें ताकि निर्भय होकर वे गवाही कर दें। इससे अपराधी को सजा दिलाने में कामयाबी मिलेगी।

मद्यनिषेध विभाग में होगी बहाली

नीतीश कैबिनेट ने यह फैसला लिया है कि मद्यनिषेध को कारगर बनाने के लिए 50 इंस्पेक्टर और 259 दारोगा के पदों पर नियुक्तियां होगी। इसके साथ ही बिहार में विशेष न्यायलयों में 676 अराजपत्रित पदों का भी सृजन किया गया है। उत्पाद अभियोग से संबंधित मामले के त्वारित निष्पादन के लिए 74 विशेष न्यायलय की स्वीकृति प्रदान की गई है।

इसके साथ ही केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकण अधिनियम 1985 की धारा4 (2) के तहत बिहार प्रशासनिक न्यायाधिकरण के गठन संबंधी अधिसूचना निर्गत करने हेतु भारत सरकार को अनुरोध पत्र भेजे जाने की स्वीकृति का राज्य सरकार ने निर्णय लिया है।

इसके साथ ही कई प्रस्ताव स्वीकृत किए गए, जो हैं….

-अररिया पॉलटेक्निक कॉलेज के नाम में किया गया बदलाव, अब कॉलेज का नाम फणीश्वर नाथ रेणु के नाम पर होगा।

-धौंस नदी पर बराज और सिंचाई योजना पर मुहर लगाने के साथ ही विभिन्न सिंचाई योजनाओं के लिए 47 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।

-कैबिनेट विशेष सचिव उपेंद्रनाथ पांडेय की सेवा अवधि बढ़ाई गई, एक साल का एक्सटेंशन दिया गया।

-वनक्षेत्रों को बढ़ाने के लिए 141 करोड़ की स्वीकृति देने के साथ ही पूर्णिया के चिकित्सा पदाधिकारी को सेवा से बर्खास्त किया गया। साथ ही कटिहार के चिकित्सा अधिकारी को भी सेवा से बर्खास्त किया गया।

-सुपौल अनुमंडल न्यायालय के लिए 40.88 लाख की राशि स्वीकृत की गई और शराबबंदी की त्वरित सुनवाई के लिए 74 विशेष कोर्ट बनाने का निर्णय लिया गया।

-विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष बने दिनेश।

-सरकारी निर्माण के लिए 61.57 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई।

Input : Dainik Jagran

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