बिहार सरकार के 2021-22 के बजट पर विमर्श में इसका विरोध करते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बजट को जनसरोकार से दूर करार दिया। साथ ही, कई सवाल भी सरकार से पूछ डाले। तेजस्वी यादव ने कहा कि निश्चय-1 पूरा ही नहीं हुआ और निश्चय-2 की घोषणा कर दी। कहा कि हमारे रहते निश्चय एक आरंभ हुआ और हमलोगों के हटते ही इसमें भ्रष्टाचार शुरू हो गया। दावा किया कि ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल एजेंसी के सर्वे के मुताबिक बिहार दूसरा सबसे बड़ा भ्रष्ट राज्य है। यहां 75 फीसदी काम बिना घूस लिए नहीं होते। यह भी आरोप लगाया कि सूचना इंडेक्स पर बिहार फिसड्डी है। सूचनाएं सरकार छिपाती है। आठ फीसदी जवाब सूचना मांगने पर दिए जाते हैं। कहा कि जंगलराज, विकास नहीं हुआ आदि प्रोपेगेंडा उड़ाया गया।
तेजस्वी यादव ने कहा कि बजट आकार को लेकर वर्तमान सरकार बेवजह अपनी पीठ थपथपाती है। वर्ष 1990 में जब लालू यादव की सरकार बनी तो राज्य का बजट था 3000 करोड़ रुपए। 2005 तक 15 साल में यह 24 हजार करोड़ तक यानी कि 8 गुना पहुंचा। 2005 के 24 हजार करोड़ से अब यह बजट 2 लाख 18 हजार करोड़ तक पहुंचा है। यह भी आठ गुना ही है। इस दौरान केन्द्र सरकार के बजट में भी आठ गुना का ही इजाफा हुआ है।
नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि 15 साल में नीतीश सरकार के अपने संसाधनों से प्राप्त राजस्व में 2 फीसदी की कमी आयी है। 2005-06 में यह 20.36 फीसदी थी जो अब 18.57 फीसदी पहुंच गया है। नेता विपक्ष ने कहा कि 2020-21 के 2 लाख 11 हजार करोड़ के बजट में से सरकार सिर्फ 70 हजार करोड़ रुपए खर्च कर पायी है। सवाल किया कि क्या 1 लाख 43 हजार करोड़ रुपए सिर्फ एक माह मार्च में खर्च होंगे?
तेजस्वी यादव ने राजद शासनकाल में केन्द्रीय उपेक्षा का भी जिक्र किया। 2005 और 2020 के प्रति व्यक्ति आय, केन्द्रीय करों की हिस्सेदारी आदि के सहारे दावा किया कि डीजीपी बढ़ने का दावा भी उचित नहीं है। कहा कि ह्यूमेन डेवलपमेंट इंडेक्स के मुताबिक राबड़ी देवी के कार्यकाल में बिहार का स्थान 32वां था जो आज 36वां हो गया है। उन्होंने बजट में अतिपछड़ा और अल्पसंख्यकों के लिए प्रावधानित राशि का जिक्र करते हुए इसे नाकाफी बताया।
Source : Hindustan