बिहार में पिछले सात दिनों में हुए कोरोना विस्फोट की चपेट में ना सिर्फ मुख्यमंत्री आवास बल्कि राजभवन और बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता भी आ चुके हैं। बिहार में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 20 हज़ार के पास पास पहुंच गई है। हालांकि, बिहार में संक्रमित मरीजों के ठीक होने वाली की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक है। लेकिन, कोरोना का खौफ बिहार में अभी भी कायम है, यही वजह है कि राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण के विस्फोट को देखते हुए 31 जुलाई तक संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। दूसरी तरफ राज्य सरकार हर साल आने वाले बाढ़ की से भी निपट रही है।

उत्तर बिहार के कई जिलों में बाढ़ कटाव की समस्या गंभीर

पिछले 36 घंटे से नेपाल और उसके तराई क्षेत्रों में बारिश का दौर थमने की वजह से नदियों के जलस्तर में होने वाली वृद्धि तो रुक गई है, लेकिन बिहार के अधिकांश नदियां अभी भी उफान मार रही हैं। बुधवार को जहां सीतामढ़ी में एनएच पर पानी चढ़ गया तो मधुबनी के मधवापुर प्रखंड में भी एनएच पर चढ़ा पानी नहीं उतरने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। वही बात करें बागमती, गंडक, लखनदेई और सिकरहना तटबंध की तो, इन हिस्सों में अभी भी दबाव बना हुआ है। इस इलाके के 2 दर्जन गांव में बाढ़ का पानी घुस चुका है, लिहाजा बाढ़ और बारिश की आशंका को देखते हुए स्थानीय लोगों ने एनएच और तटबंध पर शरण लिया है।

सीमांचल, कोसी और पूर्वी बिहार के जिलों में फिलहाल राहत नहीं
पूर्वी बिहार के साथ सीमांचल और उसी के क्षेत्र में फिलहाल ज्यादातर नदियों का जलस्तर स्थिर है। इस वजह से कुछ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से पानी निकलने भी लगा था, लेकिन इन क्षेत्र में रहने वाले लोगों की परेशानी दूर नहीं हुई। मिली जानकारी के अनुसार सुपौल में कोसी का जलस्तर घट रहा है, लेकिन इलाके के कई सड़कों पर अभी भी बाढ़ का पानी चढ़ा हुआ है। सहरसा में भी कोसी के जलस्तर में कमी आ रही है, लेकिन तटबंध के भीतर अभी भी कई गांव बाढ़ के चपेट में हैं। मधेपुरा के भी कई इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई वही फारबिसगंज में भी पुलिया और रोड के ध्वस्त होने की वजह से आवागमन ठप हो गया है, तो कटिहार में महानंदा नदी के जलस्तर में भी कमी देखने को मिल रही है। हालांकि, यहां भी निचले इलाके में बाढ़ का पानी आने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उधर, खगड़िया में कोसी और बागमती नदी के जलस्तर में अभी भी वृद्धि दर्ज की जा रही है।

बाढ़ को लेकर राज्य सरकार की तैयारी
बिहार में हर साल आने वाली बाढ़ के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 जून को एक समीक्षा बैठक की थी। मुख्यमंत्री ने तब निर्देश दिया था कि नेपाल के साथ तालमेल बनाकर बाढ़ सुरक्षा कार्यों को पूरा कराया जाए। मुख्यमंत्री ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया था कि, कोसी, गंडक, कमला एवं अन्य नदी बेसिन,सीमावर्ती क्षेत्र और पिछले साल जहां कटा हुआ था, उन जगहों पर बाढ़ के सुरक्षा के कार्य पूरी करें। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया था कि बाढ़ के वक्त संचार व्यवस्था जारी रहे ऐसी व्यवस्था की जाए। उन्होंने गंडक बराज का भी लगातार निरीक्षण करने की बात कही थी। इसके अलावा बाढ़ की स्थिति में ऐसे राहत शिविर बनाने का निर्देश दिया था, जहां कोरोना संक्रमण से भी बचाव हो सके। बाढ़ पीड़ित लोगों वहां सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर सकें। साथ ही राहत केंद्रों में चिकित्सीय टीम के साथ पर्याप्त मात्रा में दवा की व्यवस्था करने की भी बात कही थी।

बाढ़ से बचाव की सभी योजनाएं हुई पूरी : संजय झा
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने बताया कि कोरोना की वजह से लगे लॉकडाउन में बाढ़ से बचाव की योजनाओं को पूरा करना इस बार काफी मुश्किल भरा रहा। लेकिन अधिकारियों की मेहनत से योजनाएं पूरी हो गई हैं। इसी का नतीजा है कि कई नदियों में बांध पर पानी का दबाव बनने के बाद भी स्थिति अभी तक सामान्य है। जल संसाधन मंत्री ने कहा कि विभाग के इंजीनियर लगातार दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में काम करना कितना कठिन था इसका एहसास तब हुआ जब दूसरे राज्यों से जरूरी सामान की आपूर्ति करने वाली फैक्टरियां भी लॉक डाउन की वजह से बंद हो गई थी। जल संसाधन मंत्री ने बताया कि सभी 389 योजनाएं बाढ़ से पहले पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार लोगों की सुरक्षा को लेकर काफी सजग है। संजय झा ने बताया कि कमला बलान के तटबंध रसियारी चौक के पास पानी रिसने की सूचना मिली थी लेकिन इंजीनियरों की टीम ने इस बांध को भी बचा लिया।

Input : NBT Hindi

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