बिहार की राजधानी पटना में STET अभ्यर्थियों ने मंगलवार को जबरदस्त प्रदर्शन किया. शिक्षा मंत्री विजय चौधरी के आवास के पास अभ्यर्थी पहुंच गए थे, जिन्हें हटाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा. इस लाठीचार्ज में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए. अब सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि एसटीईटी के qualified candidates शिक्षा मंत्री के आश्वासन के बावजूद प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं? यहां जानिए वो 9 बड़े सवाल जो उम्मीदवार सरकार से पूछ रहे हैं. जानिए- प्रदर्शन की वजह…
1- STET उत्तीर्ण शिक्षक बिहार बोर्ड द्वारा बनाई गई मेरिट लिस्ट से नाराज़ हैं. उनका सवाल है कि जब कुल सफल अभ्यर्थियों की संख्या कुल रिक्तियों से कम है तो फिर हजारों की तादाद में qualified candidates को मेरिट लिस्ट से बाहर क्यों रखा गया है?
2- STET 2019 के सफल अभ्यर्थियों का सवाल है कि जब विज्ञापन में साफ कहा गया था कि इस बार रिक्तियों के बराबर ही candidates को qualify किया जाएगा फिर इतने सारे उम्मीदवारों को merit list से बाहर कैसे कर दिया गया?
3- अभ्यर्थियों का सवाल है कि मेरिट लिस्ट में किन लोगों को और किस आधार पर जगह दी गई है? हालांकि सरकार बता चुकी है कि चूंकि अब TET सर्टिकिफेट की वैलिडिटी लाइफटाइम के लिए मान्य हो चुकी है, उसी आलोक में STET 2011 के सफल अभ्यर्थियों को भी सातवें चरण की बहाली में मौका दिया जा रहा है.
4- STET 2019 के सफल अभ्यर्थियों की मांग है कि सरकार विषयवार कट ऑफ को सार्वजनिक करे.
5- अभ्यर्थियों का ये भी आरोप है कि सरकार STET 2019 के अपने विज्ञापन का पालन नहीं कर रही है और रिक्त सीटों से ज्यादा अभ्यर्थियों को qualified बता इस बहाली प्रक्रिया को उलझाना चाह रही है.
6- अभ्यर्थियों का आरोप है कि कम अंक वालों को मेरिट लिस्ट में जगह दी गई है जबकि ज्यादा अंक वालों को बाहर रखा गया है. हालांकि सरकार का इस आरोप पर अब तक जवाब नहीं मिला है लेकिन शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि STET पास सभी अभ्यर्थियों को शिक्षक बहाली में समान मौका मिलेगा.
7- अभ्यर्थियों का आरोप है कि भर्ती प्रक्रिया के नाम पर उनसे फोन पर रिश्वत मांगी जा रही थी, फिर भी इन आरोपों की जांच नहीं की गई. बोर्ड की तरफ से अब तक स्पष्ट नहीं किया गया है कि आखिर अभ्यर्थियों की निजी जानकारी कैसे लीक हुई?
8- अभ्यर्थियों को चिंता है कि छठें चरण की तरह सातवें चरण की बहाली प्रक्रिया भी कोर्ट के पचड़े में फंसाने की कोशिश की जा रही है. उनको ये भी आशंका है कि जब 2011 में पास अभ्यर्थियों को अब तक नौकरी नहीं मिली तो कहीं उनकी बहाली को भी सालों न लटका दिया जाए.
9- अभ्यर्थियों का सवाल है कि शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग के अधिकारी बार-बार अपना बयान बदल रहे हैं. उनके बयानों में स्पष्टता और एकरूपता नहीं है. यहां तक कि एक अभ्यर्थी से बातचीत के दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार तो इस बात पर भी सहमति देने में हिचक रहे थे कि विभाग बहाली प्रकिया में अपने विज्ञापन की तमाम शर्तों को पूरा करेगा.
Source : Aaj Tak