राज्य में जमीन के शुरू होने वाले सर्वे कार्य में नई ईटीएस (इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन) मशीन का इस्तेमाल किया जाएगा। सर्वे के दौरान जमीन का सीमांकन और उसकी मापी भी इसी मशीन से की जाएगी। इस आधुनिक उपकरण से जमीन की मापी में ‘एक्यूरेसी’ रहेगी। गड़बड़ी की गुंजाइश भी लगभग खत्म हो जाएगी। भविष्य में जमीन की सारी मापी ईटीएस मशीनों से ही की जाएगी।

गौरतलब हो कि जमीन की मापी अब भी सिक्कड़ और कड़ी वाली पारंपरिक तरीके चल रही है। इसमें समय लगता है और कई त्रुटियां भी रह जाती हैं। समय की बचत के मामले में नई मशीन काफी उपयोगी साबित होगी। सभी अमीनों को नई मशीनें दी जाएंगी और उनके संचालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। राजस्व विभाग ने साफ कर दिया है कि अमीनों को जल्द से जल्द यह ट्रेनिंग लेनी है। जमीन का हवाई सर्वे कर चुकी एरियल एजेंसियों को ही कहा गया है कि वह ईटीएस मशीनों के संचालन की ट्रेनिंग अमीनों को दे।

पहल 

  • अमीनों को मशीनें दी जाएंगी व संचालन का प्रशिक्षण भी मिलेगा
  • भू सर्वेक्षण कार्य में मशीनों का इस्तेमाल हो गया है शुरू

घाटकुसुम्बा, पिपरा व बेगूसराय सदर अंचल में मशीनों का इस्तेमाल : राज्य में शेखपुरा के घाटकुसुम्बा, सुपौल के पिपरा और बेगूसराय के सदर अंचल में चल रहे भू सर्वेक्षण कार्य में इन मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। सर्वे में तकनीकी मार्गदर्शिका का पालन किया जा रहा है। इन अंचलों में नौ शिविर लगाए गए हैं। शिविर में असिस्टेंट सेटलमेंट ऑफिसर (एएसओ) अमीन एवं ईटीएस ऑपरेटर मौजूद रहते हैं। सर्वे के दौरान हवाई सर्वेक्षण की मैपिंग के आधार पर मौके पर जाकर भूखंड का भौतिक सत्यापन होगा। फिर एरियल मैप व कैडस्ट्रल सर्वे मैप रिकॉर्ड के आधार पर भूखंड का मिलान किया जाएगा।

दस्तावेजों के मिलान के बाद प्रामाणिकता तय होगी सभी दस्तावेजों के मिलान के बाद ही उसकी प्रामाणिकता तय की जाएगी। इससे भूखंड की बंदोबस्ती में मदद मिलेगी। गौरतलब है कि देशभर में वर्ष 1901-1902 में हुए कैडस्ट्रल सर्वे के बाद पहली बार राज्य में सर्वे का कार्य हो रहा है। मौजूदा भूखंड के सभी दस्तावेज कैडस्ट्रल सर्वे के आधार पर ही उपलब्ध हैं। इस बीच सरकार ने कैडस्ट्रल सर्वे के आधार पर 1960-70 में रिविजनल सर्वे कार्य कराया था, लेकिन किन्हीं कारणों से मुंगेर जिला समेत कुछ अन्य जिले रिविजनल सर्वे से वंचित रह गए थे। उधर, बिहार राज्य सर्वेयर डिप्लोमा संघ के प्रदेश अध्यक्ष संजीव कुमार का कहना है कि चूंकि बिहार में जमीन के छोटे-छोटे प्लाट होते हैं, इसलिए यहां मशीनों से किस्तवार मापी में परेशानी व जटिलता होगी।

सभी अमीनों को जल्द से जल्द ईटीएस मशीन की ट्रेनिंग लेनी होगी। अब इसी मशीन से जमीन की माफी होगी। – जय सिंह, निदेशक, भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय

Input : Hindustan

 

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