शहर के कर्पूरी बस पड़ाव की विश्वकर्मा पूजा अनोखी है। इसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम भी भाग लेते हैं। यहां का आयोजन हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है। इस बार कोरोना के चलते सादगी से पूजा होगी। बीमारी से बचने के निर्देशों का पालन करते हुए पूरी तैयारी की गई है।कर्पूरी बस पड़ाव से प्रतिदिन पटना, दरभंगा व मुजफ्फरपुर समेत अन्य स्थानों के लिए बसें चलती हैं। पड़ाव के कर्मचारी हर त्योहार मिल-जुलकर मनाते हैं। विश्वकर्मा पूजा भी उनमें से एक है। यहां पिछले 30 साल से इस अवसर पर आयोजन होता है। पहले हर साल मूर्ति स्थापित की जाती थी। फिर वर्ष 2014 में आपसी सहयोग से स्थायी रूप से विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित की गई।

जागरण स्थगित कर दिया गया

इस बार कोरोना के चलते बड़ा आयोजन नहीं होगा। लेकिन, शुभ मुहूर्त में पूजा के बाद भक्तों में प्रसाद का वितरण होगा। यहां रसीद काटने वाले मो. हुसैन उर्फ गब्बर तैयारी में लगे हैं। वे सजावट से लेकर पूजा का सामान जुटाने का काम तन्मयता से कर रहे हैं। इसमें वे हर साल बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। तैयारी में लगे टेंपो चालक मो. नसीम, मो. जावेद, मो. जोगी, मो. जुबैर, मो. कमरुल, मो. गुलाब कहते हैं कि इस बार हर साल होनेवाला जागरण स्थगित कर दिया गया है। इन लोगों का कहना है कि ईश्वर एक हैं। बस हम उन्हें अपने-अपने तरीके से मानते हैं। ङ्क्षहदू या दूसरे धर्म के लोग भी हमारे त्योहार में सहयोग करते हैं। आयोजन में लगे कन्हैया झा, ललित कुमार, कृष्णा, मुरारी, विपिन साह, बबलू, विश्वनाथ साह और राम लाल झा कहते हैं कि जाति-धर्म का भेदभाव नहीं है।

Input: Dainik Jagran

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