बिहार में अब मशीन से निकलने वाली किरणें जमीन की मापी करेंगी। एक इंच और फूट की तो बात छोड़िए, एक सेमी का भी फर्क नहीं आएगा। न जरीब और कड़ी खींचने की जरूरत और न ही फीता ढीला पकड़ने की शिकायत। बस, अमीन मशीन को किनारे पर खड़ा कर देंगे और मापी करने वाले खेत के किनारे पर प्रिज्म रख देंगे।

बटन दबाते ही मशीन से किरणें निकलेंगी और प्रिज्म से प्रिज्म की दूरी रिकॉर्ड कर लेंगी। जीपीएस का भी उपयोग मापी के लिए होगा। खास बात यह है कि इस माध्यम से एक साथ 50 प्लॉटों की मापी की जा सकेगी। मापी के लिए उपयोग की जाने वाली नई मशीन का नाम है इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन (ईटीएस)। सरकार जल्द ही मशीन खरीदेगी और सभी अंचलों में भेजेगी। फिलहाल प्रथमिकता उन अंचलों को दी जाएगी जहां सर्वे का काम शुरू हो गया है।

इससे मापी का काम तो तेजी से होगा ही, किसी को गड़बड़ी की शिकायत नहीं होगी। अमीन साहब मापी में हेरफेर नहीं कर पाएंगे। सरकार नई व्यवस्था से मापी के लिए सभी अमीनों को ट्रेनिंग देगी। राज्य सरकार ने जमीन का रिकॉर्ड दुरुस्त करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। सरकार का मानना है कि राज्य में सबसे अधिक आपराधिक घटनाएं जमीन विवाद के कारण होती है। इसमें मापी की गड़बड़ी आग में घी का काम करती है। लिहाजा सबसे पहले इस कमी को दूर करना जरूरी है। कई राज्यों ने इस पद्धति से अपने यहां जमीन के दस्तावेजों को दुरुस्त किया है।

गड़बड़ी की शिकायतें अधिक
राज्य में आजादी से पहले से ही जरीब से जमीन की मापी होती है। इससे रिकॉर्ड दुरुस्त करने में समय तो लगता ही है, कई बार गड़बड़ी की शिकायतें भी आती हैं। कागजी दस्तावेजों में दर्ज भूमि कुछ है और असल में कुछ और नजर आती है। इस कमी को दूर करने के लिये अत्याधुनिक प्रणाली इलेक्ट्रॉनिक टोटल स्टेशन (मशीन) की खरीद की जा रही है।

राज्य में अमीन अब जरीब की जगह ईटीएस से ही मापी का काम करेंगे। इसके लिए सभी कार्यालयों में ईटीएस उपलब्धता कराई जाएगी। पहले सर्वे शिविर में इसकी व्यवस्था होगी। आगे सभी 534 अंचलों में भी इसकी व्यवस्था होगी। – विवेक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग  

Source : Hindustan

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