बिहार में सरकारी बॉडीगार्ड देने के नाम पर जमकर धांधली की गई है. आमतौर पर सरकारी बॉडीगार्ड देने के लिए कुछ खास नियम हैं. खास लोगों को ही बॉडीगार्ड देने का प्रावधान रहा है. लेकिन सरकारी बॉडीगार्ड देने में कई स्तर पर लापरवाही बरती गई है. दबंग और ठेकेदार टाईप के लोगों को भी सरकारी खर्च पर बॉडीगार्ड उपलब्ध करा दिया गया है. RTI Activist की ओर से दायर याचिका में इस बात का खुलासा हुआ है, जिसके बाद से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है.

Bodyguard मिलने का प्रावधान?

दरअसल, सरकारी Bodygurad उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से कुछ गाइडलाइन तय किए गए हैं. कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका से जुड़े पदाधिकारियों को सरकारी बॉडीगार्ड उपलब्ध कराने के लिए गाईडलाईन हैं. इसके अलावा 2004 में Patna High Court से पारित एक आदेश के जरिए भी सरकारी बॉडीगार्ड उपलब्ध कराए जाने को लेकर विशेष गाइडलाइन बनाया गया है, जिसके आधार पर ऐसे लोगों को बॉडीगार्ड उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान है, जो जनहित और राष्ट्रहित से जुड़े मुद्दे उठाते रहते हैं.

नियमों की अनदेखी की गई

वहीं, अगर ऐसे लोग पैसे देने में सक्ष्म नहीं हैं तब उन्हें सरकार बॉडीगार्ड उपलब्ध कराएगी, ये व्यवस्था की जाएगी. लेकिन इसकी आड़ में ऐसे लोगों को बॉडीगार्ड उपलब्ध करा दिया गया जो दबंग ठेकेदार हैं. पैसे देने में सक्षम होते हुए भी ऐसे लोगों ने सरकारी बॉडीगार्ड के लिए निर्धारित रकम जमा करने में परहेज किया है.

RTI में हुआ खुलासा
आरटीआई एक्टविस्ट शिव प्रकाश राय ने मामले को लेकर स्पेशल ब्रांच में एक RTI 2020 में दायर की, जिसमें 2010 से लेकर 2020 तक ऐसे लोगों की जानकारी मांगी जो ठेकेदार दबंग थे और बॉडीगार्ड लेने के लिए पैसे देने में सक्ष्म थे. लेकिन उन लोगों ने पैसे नहीं चुकाए. सिर्फ साल 2017 में कुल 19 ऐसे लोग पाए गए जिनपर बॉडीगार्ड के 35 लाख 35 हजार 728 रुपए बकाया हैं. इसके अलावा आरटीआई में इसबात की भी जानकारी सार्वजनिक हुई कि गृह विभाग के पास बॉडीगार्ड आवंटन को लेकर कोई विशेष डाटा उपलब्ध नहीं है.

CAG ने माना कानून का उल्लंघन
वहीं, शिव प्रकाश राय कहते हैं कि CAG ने भी इसे कानून का उल्लंघन और सरकारी गाइडलाइन का उल्लंघन मानते हुए ऐसे लोगों से पैसा वसूले जाने का निर्देश दिया है. राज्य के 38 जिलों में ये मामला उजागर हुआ है. 2010 से 2020 तक ऐसे लोगों पर सरकार का लगभग 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का रकम बकाया होगा. उसके बावजूद भी ऐसे ही गलत लोगों को दोबारा बॉडीगार्ड दे दिया गया है.

ADG ने घोटाले से किया इंकार
इधर, बॉडीगार्ड के नाम पर हुए घोटाले को लेकर जब एडीजी लॉ एंड आर्डर अमित कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने ऐसे किसी भी घोटाले की घटना से साफ इंकार कर किया. अमित कुमार ने कहा कि बॉडीगार्ड नियम के तहत दिए जाते हैं. अभी तक बॉडीगार्ड आवंटन में किसी भी गड़बड़ी कि शिकायत उन तक नहीं पहुंची है.

Input: Zee News

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