बिहार में पहली बार ब्लैक फंगस म्यूकोरमाइकोसिस के चार मरीज मिले हैं। तीन मरीज एम्स पटना में, जबकि एक मरीज आईजीआईएमएस में इलाज कराने पहुंचे हैं। एम्स में पहुंचे मरीजों की नाक की हड्डी गल गई थी जबकि आईजीआईएमएस के मरीज के आंखों के पास फंगस का संक्रमण पहुंच गया था। सभी का इलाज चल रहा है।
कोरोना से स्वस्थ होने के बाद यानी पोस्ट कोविड मरीज इस बीमारी के शिकार होते हैं। अगर शुरुआती समय में पहचान न हो तो इससे जान बचना मुश्किल हो जाता है। इसमें मृत्यु दर 80 से 85 प्रतिशत तक है। पिछले तीन दिनों में इस बीमारी के छह संदिग्ध मरीजों की एम्स में जांच की गई, जिसमें चार में इस बीमारी की पुष्टि हुई।
तीन का इलाज ईएनटी विभाग में चल रहा है। एक अन्य पीड़ि नागपुर चला गया। वहीं आईजीआईएमएस में मुजफ्फरपुर की 52 वर्षीया महिला के आंखों तक पहुंचे संक्रमण का इलाज चल रहा है।
बहुत घातक है ब्लैक फंगस म्यूकोरमाइकोसिस
म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस पोस्ट कोविड इफेक्ट है, जो कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को अपना शिकार बनाता है। एम्स पटना में ईएनटी विभाग की अध्यक्ष डॉ. क्रांति भावना ने बताया कि इसका सबसे अधिक खतरा डायबिटीज के उन मरीजों के लिए है जिनको इलाज के दौरान अनियंत्रित स्टेरॉयड और दवाइयां दी गईं हैं।
इसके अलावा कैंसर, किडनी रोगी और अंग प्रत्यारोपण करा चुके कोरोना संक्रमितों के लिए यह काफी घातक है। इसमें नाक के रास्ते में काला फंगस जैसा हो जाता है। पहले चरण में यह नाक के भीतरी हिस्से में पहुंचकर नाक और जबड़े की हड्डियों को गला देता है। दूसरे चरण में यह आंख के आसपास के कोशिकाओं व मांसपेशियों को गलाता है। इससे आंखों की रोशनी चली जाती है तीसरा चरण काफी घातक हो जाता है जब फंगस नाक के रास्ते दिमाग में पहुंच जाता है। उस स्थिति में संक्रमित की जान बचानी मुश्किल हो जाती है। शुगर लेबल बढ़ जाने पर यह काफी खतरनाक रूप ले लेता है।
क्या हैं इस बीमारी के लक्षण
नाक में दर्द, सूजन, खून आना या नाक बंद होना
दांत या जबड़े में दर्द हो और दांत गिरने लगे
आंखों से धुंधला दिखने लगे और आंखों में दर्द हो
सीने में दर्द, बुखार, खून की उल्टी और तेज सिरदर्द
संक्रमित हो चुके लोगों में ज्यादा जोखिम
जिनका शुगर लेबल हमेशा अनियंत्रित रहता हो
कोरोना संक्रमण के दौरान जिन्होंने ज्यादा स्टेरॉयड लिया है
आईसीयू में ज्यादा दिनों तक रहनेवाले संक्रमित
किडनी, कैंसर अथवा अंगं प्रत्यारोपण करा चुके लोग
क्या है बचाव
एम्स की डॉ. क्रांति भवना ने बताया कि डायबिटीज से ग्रस्त कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में शुरू से ही सावधानी बरतनी चाहिए। खासकर स्टेरॉयड डोज देने से पहले उसके इलाज के अन्य मानकों व आगे के प्रभावों का भी आकलन करना चाहिए। सबसे ज्यादा जरूरी है मरीज का शुगर का स्तर पूरी तरह से नियंत्रित हो।
नाक के अंदर की सफाई नियमित होती रहे। गंदे और धूल भरे स्थलों पर जाने से बचें, जरूरी हो तो मास्क पहनें। वहीं राजकीय आयुवेर्दिक कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने बताया कि नियमित योग और प्राणायाम से भी इस बीमारी के प्रकोप को कम किया जा सकता है। कहा अनुलोम-विलोम और कपाल भांति जैसे प्राणायाम नाक में गंदगी नहीं जमने देते।
Input: Live Hindustan