बिहार सरकार ने मोटर वाहन एक्ट के अनुसार रजिस्ट्रेशन को लेकर जारी भ्रम की स्थिति ख़त्म कर दी है. अब बिहार में सभी प्राइवेट वाहन मालिकों को हर 15 साल पर अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. बिहार मोटर वाहन विधेयक में रजिस्ट्रेशन को ‘संपूर्ण जीवन काल के लिए’ लिखा गया था. इसे लेकर लोगों के मन में भ्रम की स्थिति बनी हुई थी.

यह जानकारी आज बिहार के परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला ने सदन के बाहर दी. वे विधानसभा में ‘बिहार मोटर वाहन संशोधन विधेयक’ के पास होने के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे. मंत्री ने बताया कि लोगों में इस भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए ही यह संशोधन विधेयक आज पारित किया गया है.

वहीँ इस विधेयक में रजिस्ट्रेशन की सीमा 15 साल रखे जाने पर राजद ने सवाल उठाये हैं. राजद विधायक समीर महासेठ ने कहा है कि इस सीमा को 25 साल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री कहते हैं कि बिहार गरीब राज्य है और हम कर्मियों को अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा पेंशन नहीं दे सकते. दूसरी ओर राज्य के इन ‘गरीब’ लोगों पर नए-नए टैक्स लगाये जा रहे हैं.

मालूम हो कि केंद्र सरकार ने भी हाल ही में मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दी है. इसमें विभिन्न यातायात नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना के साथ सड़क सुरक्षा हेतु काफी सख्त प्रावधान रखे गये हैं. उदहारण के तौर पर – किशोर नाबालिगों द्वारा वाहन चलाना, बिना लाइसेंस, खतरनाक ढंग से वाहन चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, निर्धारित सीमा से तेज गाड़ी चलाना और निर्धारित मानकों से अधिक लोगों को बैठाकर अथवा अधिक माल लादकर गाड़ी चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर कड़े जुर्माने का प्रावधान किया गया है.

मोटर वाहन एक्ट, 1988 (MV एक्ट) वह प्रमुख केंद्रीय कानून है जोकि मोटर वाहनों की लाइसेंसिंग और पंजीकरण तथा वाहन चालकों को रेगुलेट करता है। यह बिल विभिन्न मुद्दों को संबोधित करता है जैसे सड़क सुरक्षा, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस, टैक्सी एग्रीगेटरों का रेगुलेशन, असुरक्षित वाहनों का रीकॉल और सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति में पीड़ितों को मुआवजा।

Input : Live Cities

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