एनजीटी के आदेश पर राज्य में पहले चरण में करीब 350 बालू घाटों की पांच साल के लिए बंदोबस्ती प्रक्रिया शुरू हो गयी है. इसके लिए खान एवं भूतत्व विभाग ने टेंडर जारी कर दिया है. पहले चरण में अब तक जमुई और लखीसराय जिलों के बालू घाटों की बंदोबस्ती की जा चुकी है.

इसमें विभाग को बंदोबस्ती के लिए लगायी गयी बोली में करीब 100% से अधिक राजस्व प्राप्त हुआ है. यह चरण 19 दिसंबर तक चलेगा और इसमें अन्य 11 जिलों के बालू घाटों की बंदोबस्ती की जायेगी. हालांकि, दो दिसंबर को एनजीटी में हुई अंतिम सुनवाई का निर्णय पूरी प्रक्रिया पर प्रभावी होगा. नयी नियमावली के अनुसार बंदोबस्ती के इच्छुक लोगों या फर्म को अधिकतम दो बालू घाटों या 200 हेक्टेयर में से जो कम होगा, उसकी बंदोबस्ती दी जायेगी.

विभाग ने करीब 330 से अधिक घाटों के माइनिंग प्लान का अनुमोदन कर पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए सिया को भेज दिया है. इसका सीधा फायदा इन घाटों की बंदोबस्ती लेने वालों को होगा. उन्हें पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए स्वयं से प्रयास नहीं करना होगा.

पटना, भोजपुर, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास, गया, जमुई, लखीसराय, बांका, मुंगेर, नालंदा, नवादा और भागलपुर

राज्य के सभी बालू घाटों की बंदोबस्ती की समयसीमा 31 दिसंबर को खत्म हो जायेगी. इसके बाद नयी बंदोबस्ती एक जनवरी से प्रभावी हो जायेगी. पर्यावरणीय स्वीकृति के बाद नदी घाटों से बालू खनन किया जा सकेगा.

Input : Prabhat Khabar

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