पीएम नरेंद्र मोदी एक पार फिर से सत्ता में आ चुके हैं. लेकिन मालूम पड़ता है कि जिसके लिए जनता ने उन्हें फिर चुना, वहीं काम नहीं हो रहा है. बात करें बिहार की तो बिहार में एनडीए को बड़ी जीत मिली. लेकिन उस जीत का फायदा ज्यादा मिलता नहीं दिख रहा. हम नजर डाल रहे हैं पीएम मोदी की आयुष्मान भारत योजना पर. बिहार में बच्चे म’र रहे हैं. लेकिन इस योजना का फायदा नहीं दिख रहा है.
बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की हो रही मौत के बाद यह सवाल खड़ा हुआ है. बिहार सरकार ने आयुष्मान भारत योजना में हिस्सा बनना तय कर लिया. योजना का पैसा आना भी शुरू हो चुका है. तो मुजफ्फरपुर के बच्चों का मुफ्त इलाज बिहार के प्राइवेट हॉस्पीटल्स में क्यो नहीं हुआ. आपको बता दें कि आयुष्मान भारत योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल की थी.
इस योजना के तहत देश के हर गरीब परिवार के सदस्यों का हर साल पांच लाख रुपए तक का इलाज सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में कैशलेश होना है. इस योजना के तहत देश के 10.74 करोड़ परिवारों के 50 करोड़ लोगों का स्वास्थ्य बीमा कवरेज दिया जाना है. इसके लिए इस साल के अंतरिम बजट में 6,400 करोड़ रुपए का प्रावधान है.
देश में बीपीएल परिवारों की संख्या के लिहाज से बिहार दूसरे नंबर पर है. इस हिसाब से कोई सोच सकता है कि आयुष्मान भारत का केंद्र से आने वाला ढेर सारा पैसा बिहार के मरीजों के इलाज में खर्च हो रहा होगा. लेकिन आयुष्मान भारत के तहत राज्यों को पहुंच रही रकम पर अगर नजर डालें, तो और ही तस्वीर नजर आती है. इसके बावजूद, आयुष्मान भारत से वहां सिर्फ 39,943 क्लेम मंजूर हुए और कुल 35.58 करोड़ रुपए ही दिए गए.
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