शिक्षक होना गर्व की बात है. इस देश में शिक्षकों का सम्मान वर्षों से होता रहा है, मगर आज शिक्षा देने वाले गुरुओं का हाल बुरा है. प्राथमिक, मध्य और उच्च शिक्षा से लेकर विद्यालय महाविद्यालयों की शिक्षा देने वाले कई शिक्षकों के सामने भी आजीविका का संकट है. कोरोना काल में ​कई ​निजी प्रतिष्ठानों में कार्यरत शिक्षकों की हालत बुरी हो गई. आज शिक्षक दिवस है. ऐसे में हम शिक्षकों की बदहाली दूर करने को लेकर तथ्यों को परखेंगे. बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने हैं.

अब सवाल उठता है, क्या चुनावों में शिक्षा भी मुद्दा बनेगा. उधर, नियोजित शिक्षक भी लगातार आंदोलनरत हैं. देश भर में आज शिक्षा के स्तर पर आये दिन सवाल उठते रहते हैं. हम आंकड़ों पर गौर करें तो बहुत कुछ पता चल जायेगा. देश में प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूल टीचरों के 10 लाख पद खाली है. देश सेंट्रल यूनिवर्सिटी में 47 ऐसे हैं, जहां 6 हजार पद खाली हैं. देश के 363 स्टेट यूनिवर्सिटी में 63 हजार पद खाली हैं. उच्च शिक्षा देने वाले कई कॉलेजों में भी जरूरत से कम शिक्षक हैं.

देश में कई ऐेसे शिक्षण प्रतिष्ठान हैं, जहां शिक्षक कार्य कर उच्च शिक्षा में अपनी सेवा देते हैं. वह नियमित नहीं हैं. उनकी संख्या भी 6.50 लाख है. इस कोरोना काल में उनकी आजीविका पर भी संकट है. हालांकि बिहार में तकरीबन 4 लाख नियोजित शिक्षकों को लेकर सरकार ने बड़ा कदम उठाया. सेवाशर्त समेत कई मांगों को माना, किंतु अब भी शिक्षकों में रोष है. उनका कहना है, सरकार की तमाम घोषणाएं एक सब्जबाग है, जो शिक्षकों के लिए सम्मान नहीं. अपमानित करने का काम है. यहां कभी शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल पाते.

प्रदेश में संचालित लगभग दर्जनों यूनिवर्सिटि में भी अतिथि शिक्षकों को समान काम के बदले समान वेतन नहीं मिल पा रहा. वहीं वर्षों से लेक्चरर की बहाली बंद है. प्रदेश के कई यूनिवर्सिटी पहले देश व विदेशों में अपनी ख्याति रखते थे, आज वे गुमनामी में हैं.

पीएम मोदी ने भी किये थे वायदे

पटना यूनिवर्सिटी भी एक समय देश के नामी यूनिवर्सिटी में शुमार था. मगर अब ऐसी बात नहीं. शिक्षकों का मुद्दा भी प्रदेश के चुनावी मुद्दे में शुमार हो सकता है. राजद ने सरकार से मांग की थी कि प्रदेश में सेंट्रल यूनिवर्सिटी स्थापित हो. पीएम मोदी ने भी पटना में एक कार्यक्रम के दौरान यहां की शिक्षा पद्धति में सुधार के वायदे किये थे. इन सब से इतर आये ​दिन शिक्षकों का आंदोलन कायम है. उनकी समस्याओं को दूर न करना. सरकार के लिए चुनाव में नुकसान होगा.

Source : Live Cities

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