सूबे की एक दर्जन से भी अधिक सड़कों को नए सिरे से विकसित किए जाने को ले अब नए सिरे से कुछ अतिरिक्त जमीन की व्यवस्था करनी होगी। ये सड़कें उस श्रेणी की हैं जिनके लिए स्टेज-1 के तहत वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 के तहत स्वीकृति प्राप्त है। वहीं राज्य सरकार ने अपने हालिया आदेश में यह साफ कर दिया है कि सड़क को विकसित किए जाने को ले वृक्षों को का’टने की अनुमति नहीं मिलेगी। उन्हें जड़ सहित उखाड़ कर अलग जगह पर लगा दिया (ट्रांसलोकेट) जाए। ऐसा नहीं होने पर सड़क निर्माण का मामला अटक जाएगा। पूर्व में यह तय था कि सड़क की नयी परियोजनाओं में ही यह लागू होगा।

  • दर्जन भर एनएच की सड़कों को विकसित करने के लिए अब नहीं मिलेगी वृक्षों को काटने की अनुमति
  • वन एवं पर्यावरण विभाग ने नए सिरे से आदेश जारी किया

किस्म-किस्म की नोटिंग के साथ अटके हैं मामले

सड़कों के चौड़ीकरण के मामले कहां अटके हैं यह किस्म-किस्म की नोटिंग के साथ है। एनएच-333 के मामले में यह कहा गया है कि फॉरेस्ट क्लीयरेंस के जो मामले स्टेज-1 से तभी बाहर आएंगे जब इस एवज में जमा की गई राशि मंत्रलय के वेबसाइट पर प्रदर्शित हो जाएगी। इसी तरह की टिप्पणी गोह से दाउदपुर सड़क के बारे में भी है। बहुत से मामले में यह बताया गया है कि एजेंसी के स्तर से ही मामला आगे नहीं बढ़ रहा।

Input : Dainik Jagran

दशकों से आगे नहीं बढ़ रहा मामला

फॉरेस्ट क्लीयरेंस की गति यह है कि दर्जन भर से अधिक सड़क का निर्माण इसलिए अटका पड़ा है कि वे स्टेज-1 से आगे बढ़ ही नहीं पा रहे। स्टेज-2 के बाद ही निर्माण की अनुमति मिलती है। इनमें बिहारशरीफ-परवलपुर सड़क का एक किमी से 16 किमी तक का हिस्सा, छपरा-बनियापुर-मोहम्मदपुर सड़क का 14.50 वें किमी से 30 वें किमी तक का हिस्सा, छपरा के रिविलगंज में प्रस्तावित आरओबी, मधुबनी में एनएच 527 (ए) के तहत पौखरोनी-मधुबनी-झंझारपुर का पथांश, एनएच 131 ए के 48 वें किमी में प्रस्तावित आरओबी, अररिया जिले में एनएच-327 ई के तहत अररिया-रानीगंज के 99 वें किमी से 101 वें किमी तक, इसी सड़क में हरवा चौक से जीरो माइल तक का हिस्सा, एनएच 120 के तहत गोह से दाउदपुर रोड का 142 वें से 167 वें किमी तक का हिस्सा, बनियापुर से छपरा के बीच एनएच-101 पर प्रस्तावित आरओेबी तथा एनएच 333 पर विष्णुपुर से झारखंड सीमा तक जाने वाली सड़क के चौड़ीकरण का मामला शामिल है।

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