परीक्षा लेने की कवायद तो यहां होती है, लेकिन परीक्षार्थियों को रिजल्ट मुहैया कराने की चिंता ये नहीं पालते। हम बात कर रहे हैं बीआरए बिहार विश्वविद्यालय की, जहां की लचर कार्यशैली ने छात्र-छात्राओं की नाक में दम कर रखा है।

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तीन वर्षों का कोर्स होता चार वर्षों में पूरा

यहां तीन वर्षों का स्नातक कोर्स चार वर्ष से कम में पूरा नहींं होता। पूरा हो भी जाए तो प्रतिवर्ष चार से छह हजार परीक्षार्थियों का रिजल्ट पेंडिंग रह जाता है। उसे क्लियर करवाने के लिए परीक्षार्थियों को कॉलेज से विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय से कॉलेज के चक्कर काटने पड़ते हैं। इस बीच बिचौलिये भी इनसे पैसे ऐंठते हैं।

2130 परीक्षार्थियों का रिजल्ट पेंडिंग

अभी हालिया स्नातक पार्ट-टू का रिजल्ट इसकी बानगी है। बीते मार्च में स्नातक पार्ट-टू का परीक्षा परिणाम जारी किया गया था। इसमें 2130 परीक्षार्थियों का रिजल्ट पेंडिंग घोषित कर दिया गया। फिर उन्हेंं ऑनलाइन रिपोर्ट करने को कहा गया। परीक्षार्थियों ने ऐसा किया भी। लेकिन, उन्हेंं आजतक अपना रिजल्ट मालूम नहीं हो सका है।

विश्वविद्यालय के अधिकारियों का टालमटोल रवैया

विश्वविद्यालय के अधिकारी पेंडिंग रिजल्ट को क्लियर करवाने में टालमटोल रवैया अपना रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि अभी कोविड-19 के कारण कॉलेज नहींं खुलने से रिजल्ट सुधारने में देरी हो रही है। कॉलेज की ओर से जो टैब्यूलेशन रजिस्टर (टीआर) दिया गया था, उसी आधार पर रिजल्ट जारी हुआ है। अब कॉलेज खुलने के बाद ही यह ठीक हो पाएगा।

डुप्लीकेट रॉल नंबर जारी करने से फंसा पेच

विश्वविद्यालय ने एक ही रॉल और रजिस्ट्रेशन नंबर दो-तीन परीक्षाॢथयों को जारी कर दिए। इससे पहले तक रिजलट मैनुअल जारी होता था। लेकिन, जैसे ही इसबार रिजल्ट ऑनलाइन किया गया, मामला पकड़ में आया। एक ही रॉल नंबर कई परीक्षार्थियों का होने के कारण उनके रिजल्ट पेंडिंग हो गए।

किस स्तर से हुई गड़बड़ी, इसकी हो रही जांच

एक ही रजिस्ट्रेशन और रॉल नंबर दो-तीन परीक्षार्थी को कैसे जारी हो गए, इसकी जांच की जा रही है। परीक्षा नियंत्रक डॉ.मनोज कुमार ने रजिस्ट्रेशन सेक्शन से पूछा है कि जांच कर यह स्पष्ट करें कि चूक कहां से हुई है। इसके बाद नया रजिस्ट्रेशन नंबर जारी कर रिजल्ट दिया जाएगा।

विद्यार्थियों का आरोप, जानबूझकर परेशान करते कर्मचारी

इधर, पांच महीने बाद भी रिजल्ट में सुधार नहीं होने पर परीक्षार्थियों में गहरी नाराजगी है। कई विद्यार्थियों ने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी और अधिकारी जानबूझकर परेशान करते हैं। बिचौलिये भी परिसर में सक्रिय रहते हैं, जो पैसे लेकर रिजल्ट ठीक करा देते हैं।

Input : Dainik Bhaskar

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