बिहार सरकार ने एक बड़ा दावा किया है. बिहार सरकार ने दावा किया है कि इंसेफेलाइटिस से 11 बच्चे की मौ’त नहीं हुई है. बिहार में भले ही इंसेफेलाइटिस से अब तक 20 बच्चों की मौ’त हुई हो लेकिन सरकारी महकमा इस बात को मानने को तैयार नहीं है. सूबे के सीएम नीतीश कुमार ने जहां इस मामले पर विभाग के प्रधान सचिव को ध्यान देने की नसीहत दी तो वहीं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इन मौ’तों का कारण कुछ और बताया.
स्वास्थ मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि अभी तक 11 बच्चों के मौत की पुष्टि हुई है लेकिन इसमें एईएस यानि इनसेफेलाइटिस से अभी तक किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है. पांडेय ने कहा कि हाईपोगलेसिमिया से 10 बच्चों की मौत हुई है जबकि एक बच्चे की मौत जापानी इनसेफेलाइटिस से हुई है. उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत को लेकर विभाग गम्भीर है . प्रधान सचिव लगातार इसकी समीक्षा कर रहे हैं और कल यानि मंगलवार को डायरेक्टर इन चीफ़ के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की एक टीम मुज़फ़्फ़रपुर जाएगी.
इससे पहले सीएम नीतीश कुमार ने भी कहा था कि बच्चों की मौत पर सरकार चिंतित है और इससे कैसे निपटा जाए इस पर काम चल रहा है. सीएम ने मुख्य सचिव को AES पर खुद नजर रखने का निर्देश दिया. सीएम ने कहा कि इस बीमारी को लेकर जागरुकता फैलाने की जरुरत है. सीएम ने यह साफ किया कि ये बीमारी जापानी इंसेफेलाइटिस नहीं है बल्कि AES (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस) है. इससे 12 जिले और 222 प्रखंड प्रभावित हैं.
आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने मुलाकात की. मंगल पांडेय ने डॉ. हर्षवर्धन से मुलाकात के दौरान प्रदेश के स्वास्थ्य योजननाओं समेत कई मुद्दों पर बातचीत की गई. मंगल पांडेय ने अपने प्रदेश के स्वास्थ्य संबंधित सभी विषयों पर जानकारी दी.
केंद्रीय मंत्री ने मंगल पांडेय के साथ मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और गया में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) के बढ़ते मामलों की समीक्षा की. डॉ. हर्षवर्धन ने प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में गिरावट के लिए राज्य की सराहना की. स्वास्थ्य मंत्री ने मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को राज्य और जिलों के अधिकारियों के साथ खासकर मुजफ्फरपुर जिले में बीमारी और इससे होनेवाली मौतों में वृद्धि के बारे में चर्चा करने का निर्देश दिया है.
Input : Live Cities