पटना हाईकोर्ट ने एक बार फिर बिहार में शिक्षा विभाग में कार्यरत पुस्तकालयकर्मियों और नियोजित शिक्षकों के हित में फैसला लेते हुए उन्हें कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) का लाभ नहीं दिये जाने पर अपनी नाराजगी जताई है और कहा है कि राज्य सरकार को पुस्तकालयकर्मियों और नियोजित शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ देना ही होगा।
कोर्ट ने इस मामले में आयुक्त के निर्देशों को लागू करने की भी बात कही और साथ ही राज्य के मुख्य सचिव तथा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को ईपीएफ का लाभ देने के बारे में कार्रवाई करने का भी आदेश दिया।
न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की एकलपीठ ने पुस्तकालयकर्मियों और नियोजित शिक्षकों के पक्ष में दायर की गई लखन लाल निषाद एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया है। आवेदकों के वकील नलिन कुमार ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालयकर्मियों को ईपीएफ का लाभ नहीं दे रही है।
उन्होंने बताया कि इससे पहले ही हाईकोर्ट ने शम्भू शरण सिंह के केस में राज्य के सभी अनुबंध सहित दैनिक कर्मियों तथा आउटसोर्सिंग कर्मियों को ईपीएफ का लाभ देने का आदेश दिया था। इस केस में सरकार ने नियोजित शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ देने की बात भी कही थी, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है।
वहीं इस मामले में ईपीएफ के वकील प्रशांत सिन्हा ने बताया कि ईपीएफ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को नियोजित शिक्षकों तथा पुस्तकालय कर्मियों को ईपीएफ के दायरे में लाने के लिए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही ईपीएफ के क्षेत्रीय कार्यालय ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को ईपीएफ के दायरे में लाने के लिए सरकार का सहयोग लेने का निर्देश दिया है।
वकील ने कहा कि राज्य के मुख्य सचिव ने भी ईपीएफ का लाभ देने के बारे में निर्देश जारी किया है, बावजूद इसका पालन नहीं हो रहा है। कोर्ट ने मामले को निष्पादित करते हुए मुख्य सचिव तथा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को ईपीएफ का लाभ देने के बारे में कार्रवाई करने का आदेश दिया। गौरतलब है कि राज्य में करीब तीन लाख 67 हजार नियोजित शिक्षक हैं।
Input : Dainik Jagran