उच्च शिक्षा में फिर बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। यह सीधे तौर पर छात्रों को प्रभावित करेगा। दरसअल, उच्च शिक्षा विभाग ने पुरानी शिक्षा पद्धति में बदलाव लाने के लिए कवायद शुरू की है। इसके तहत सूबे के विश्वविद्यालयों में स्नातक पाठ्यक्रमों में सेमेस्टर प्रणाली लागू की जा सकती है। नई शिक्षा नीति 2020 में इसकी घोषणा की गई है। दूसरे राज्यों में स्नातक और स्नातकोत्तर कक्षाओं में सेमेस्टर प्रणाली पूर्व से ही लागू है। बिहार के विश्वविद्यालयों में सिर्फ स्नातकोत्तर कक्षाओं में सेमेस्टर प्रणाली लागू है। इसे स्नातक कक्षाओं में अबतक नहीं लागू किया गया है। जानकार बताते हैं कि सेमेस्टर पद्धति में सतत मूल्यांकन के शामिल होने से विद्यार्थियों को लगातार अध्ययनरत रहने के कारण सीखने के अधिक अवसर मिलते हैं। इससे छात्र विषय की गहराई तक पहुंच पाते हैं। सिर्फ इसे सही ढंग से लागू करने की जरूरत है।
देश के विभिन्न विवि में लागू है सेमेस्टर प्रणाली
देश के अन्य विश्वविद्यालयों की बात करें तो मुंबई विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय, बैंगलुरू विश्वविद्यालय में सेमेस्टर पद्धति प्रचलन में है। पंजाब विश्वविद्यालय तथा हिमांचल विश्वविद्यालय द्वारा भी सेमेस्टर सिस्टम लागू किया गया है।
सेमेस्टर पद्धति के पक्ष में है रूसा का परिपत्र
वार्षिक पद्धति के स्थान पर सेमेस्टर पद्धति को अपनाने के बारे में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) ने विभिन्न पक्षों को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। रूसा के परिपत्र में लिखा है कि शैक्षणिक संस्थानों में वार्षिक पद्धति 10 से 12 महीनों का शैक्षणिक सत्र का प्रारूप है। यह प्रारूप सीमाओं से ग्रस्त है। यहीं वजह है कि पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका के अधिकांश संस्थान एक सेमेस्टर-आधारित प्रणाली का पालन करते हैं। सेमेस्टर प्रणाली एक समय-आधारित प्रारूप से बहुत आगे जाती है। सेमेस्टर पाठ्यक्रम स्थान को बढ़ाता है और सभी संबंधितों के लिए सीखने के त्वरित अवसरों को प्रोत्साहित करता है। इसमें विभिन्न विकल्पों को समायोजित करने की क्षमता है। इसलिए सेमेस्टर सिस्टम को देशभर में अनिवार्य करने की जरूरत है।
Input: Dainik Bhaskar