बीआरएबीयू के काॅलेजाें के वर्ष 2016-2017 में हुए टीडीसी पार्ट-टू के रिजल्ट में बड़े पैमाने पर फेल छात्राें काे पास करने के खेल में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक, टैबुलेटर बने पांच प्राेफेसर और  कार्यालय सहायकाें की भूमिका पुलिस जांच में भी स्पष्ट हाे गई है। सिटी एसपी नीरज कुमार सिंह ने नगर डीएसपी मुकुल रंजन की पर्यवेक्षण जांच के आधार  बीती 20 मई काे तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक समेत 9 लाेगाें की गिरफ्तारी का आदेश  जारी किया है। IO काे आरोपितों  को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया है। गिरफ्तारी नहीं हाेने पर कुर्की जब्ती होगी। इस घपलेबाजी का मूल साक्ष्य TR  शीट अदि  कागजात भी जब्त करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही उन छात्राें का भी बयान लेने के लिए कहा गया है, जिनके रिजल्ट में गड़बड़ी हुई, यानी पास रहते हुए जिन्हें फेल कर दिया गया था। रिजल्ट में फर्जीवाड़े की शिकायत पर विवि की कमेटी ने मामले की जांच की थी। जांच कमेटी की रिपाेर्ट पर विवि रजिस्ट्रार कर्नल अजय कुमार राय ने विवि थाने में बीते 16 दिसंबर 2018 काे FIR  दर्ज कराई थी। जांच रिपाेर्ट में स्पष्ट किया गया था कि परीक्षा वर्ष 2016 के टीडीसी पार्ट-टू के रिजल्ट में टैबुलेटिंग रजिस्टर में टेंपरिंग कर नंबराें काे बदला गया है, जाे छात्र परीक्षा में अनुपस्थित थे, उन्हें भी बेहतर नंबर से पास कर दिया गया है। टैबुलेटर के हस्ताक्षर के बगैर रिजल्ट प्रकाशित किया गया है। अंतरिम कमेटी की जांच रिपाेर्ट के आधार  पर मामले में माेतिहारी के पीयूपी काॅलेज के सहायक प्राेफेसर अरुण कुमार, हाजीपुर स्थित निरसू नारायण काॅलेज के सहायक प्राध्यापक डाॅ. धर्मेंद्र चाैधरी, धिरनपट्टी स्थित श्यामनंदन सहाय काॅलेज के सहायक प्राध्यापक डाॅ. संत ज्ञानेश्वर प्रसाद सिंह, अक्षयवट काॅलेज महुआ  हाजीपुर के सहायक प्राध्यापक राजकिशाेर ठाकुर, लक्ष्मी नारायण काॅलेज भगवानपुर हाजीपुर के सहायक प्राेफेसर रणवीर रंजन, अंग्रेजी विभाग में पदस्थापित सहायक रंजन कुमार और  परीक्षा विभाग में हर तरह का काम करने वाले विवि का अवैध क्लर्क अमित कुमार काे आरोपितों  बनाया गया था।

विवि के क्लर्क अमित पांडेय ने जाे कहा, उसे TR  में चढ़ाया

टैबुलेटर बनाए गए कई प्राेफेसर ने जांच के दाैरान कहा है कि विवि के क्लर्क अमित पांडेय जिन राेल नंबराें का अंक व रिजल्ट लाकर जैसे दिया उसे टैबुलेटर रजिस्टर में चढ़ाया गया। अब अमित पांडेय ही बताएगा कि उसने नंबर कैसे निर्धारित किए थे। पुलिस जांच में स्पष्ट हुआ  है कि अमित विवि का क्लर्क नहीं है। अवैध ढंग से हर ऑफिस  के गाेपनीय फाइलाें की डीलिंग करता है। इसका रसूख काफी अंदर तक है। अवैध हाेते हुए भी विवि के तमाम अधिकारियाें के यहां फाइल डील के लिए पहुंचता है। परीक्षा विभाग के टैबुलेटर से लेकर अन्य क्लर्काें की अमित के सामने कुछ नहीं चलती थी।

विवि की अंतरिम जांच कमेटी की रिपाेर्ट व साक्ष्य के आधार  पर नगर डीएसपी के पर्यवेक्षण में घटना काे आरोपितों  के खिलाफ सत्य पाया गया है। साक्ष्याें की समीक्षा के बाद मामले में IO काे आरोपितों  की गिरफ्तारी का आदेश  दिया गया है। – नीरज कुमार सिंह, सिटी एसपी

Input : Dainik Bhaskar

 

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