सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महिलाएं राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकती हैं. जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने बुधवार को कुश कालरा द्वारा दायर याचिका में अंतरिम आदेश पारित किया. याचिका में महिला उम्मीदवारों को एनडीए परीक्षा में बैठने की अनुमति देने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि महिलाओं को परीक्षा में ना बैठने देना भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 और 19 का उल्लंघन है. याचिका में कहा गया है कि अधिकारी बारहवीं परीक्षा पास अविवाहित पुरुष उम्मीदवारों को ‘राष्ट्रीय रक्षा अकादमी एवं नौसेना अकादमी की परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हैं लेकिन योग्य एवं इच्छुक महिला उम्मीदवारों को परीक्षा देने की अनुमति महज लिंग के आधार पर नहीं देते हैं. इसमें संविधान के तहत कोई उचित कारण भी नहीं दिए जाते हैं.
Supreme Court orders allowing women to take the National Defence Academy (NDA) exam scheduled for September 5th. The Apex Court says that admissions will be subject to the final orders of the court pic.twitter.com/8YVgaxz5O8
— ANI (@ANI) August 18, 2021
लिंग के आधार पर परीक्षा देने से किया जाता है वंचित- याचिका
कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष सीनियर एडवोकेट चिन्मय प्रदीप शर्मा ने अधिवक्ता मोहित पॉल, सुनैना और इरफान हसीब के साथ रखा. याचिका में कहा गया है कि योग्य और इच्छुक महिला उम्मीदवारों को उनके लिंग के आधार पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रवेश के अवसर से वंचित किया जा रहा है.
याचिका में कहा गया कि- 10+2 स्तर की शिक्षा हासिल करने वाली महिला उम्मीदवारों को उनके लिंग के आधार पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी परीक्षा देने के अवसर से वंचित कर दिया जाता है. फलस्वरूप पात्र महिला उम्मीदवारों के लिए प्रवेश पाने का कोई तरीका नहीं है जबकि समान शिक्षा हासिल करने वाले पुरुष उम्मीदवारों को परीक्षा देने का अवसर मिलता है. योग्य पाए जाने के बाद वह NDA में शामिल हो जाते हैं.
याचिका में यह भी कहा गया है कि महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में प्रशिक्षित ना करना और देश के सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन अधिकारियों के रूप में केवल लिंग के आधार पर नियुक्ति देने से मना करना मौलिक अधिकार का हनन है और यह भारतीय संविधान के दायरे में न्यायोचित नहीं है.