जिले में ऑक्सीजन की किल्लत बनी हुई है। गुरुवार को बेला स्थित एसबीजी गैस प्लांट में खराबी आने एवं लिक्विड ऑक्सीजन नहीं होने से पूरे दिन एक यूनिट में उत्पादन ठप रहा है। इससे न सिर्फ मरीज के परिजनों बल्कि हॉस्पिटल में भी सप्लाई बाधित हो गई। हवा से ऑक्सीजन बनाने वाली यूनिट से किसी तरह एसकेएमसीएच में आपूर्ति की गई। इससे घरों में इलाज करा रहे मरीजों की सांसें अटकी रही।

परिजन सुबह 7 बजे से 3 बजे तक सिलेंडर लेकर प्लांट के गेट पर खड़े रहे। लेकिन उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिली। रामबाग के संतोष कुमार ने कहा कि मरीज की हालत बिगड़ रही है, पर कोई सुनने वाला नहीं है। कहीं और ऑक्सीजन मिलती भी नहीं, क्या करें, कहां जाएं? सिलेंडर की रीफिलिंग कराने पहुंचे सिकंदरपुर निवासी राकेश ने कहा कि पिता को ऑक्सीजन की जरूरत है। रिश्तेदार के यहां से सिलेंडर की व्यवस्था कर रीफिलिंग कराने आए।

8 घंटे से भूखे-प्यासे खड़े हैं। कई तो घंटों लाइन में लगने के बाद दामोदरपुर भागे। उत्पादन होने पर मिलने की आस में खड़े हैं। प्लांट प्रबंधक मिथुन चटर्जी ने कहा कि लिक्विड ऑक्सीजन भी नहीं होने से दिन भर उत्पादन नहीं हो सका। दो बजे टैंक आया तो पाइप छोटा होने से स्टोर टंकी में भरने में जैसे-तैसे इंतजाम करने पड़े।

इस माह 1000 से अधिक एक्टिव केस घटे, ऑक्सीजन सप्लाई में भी 166 प्रतिशत की वृद्धि, फिर भी किल्लत

मई महीने के 12 दिनों में जिले में एक्टिव मरीजों की संख्या करीब एक हजार घट गई है। ऑक्सीजन का उत्पादन 166 फीसदी तक बढ़ गया है। यानी, प्रतिदिन 1400 से 1500 सिलेंडर का उत्पादन हो रहा। 25 अप्रैल को जब एक्टिव मरीज 5500 थे, तो जिले में ऑक्सीजन के सिर्फ 900 बड़े सिलेंडर का उत्पादन हो रहा था। अभी एक्टिव मरीज 5067 हैं।

Input: Dainik Jagran

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