बिहार जातिवाद की धरती रही है. यहां की राजनीति जातिवाद के जहर से चलती है – इसलिये सभी दल समाज में अपने कोर वोटर को जाति के आधार पर बांट कर रखते है. इसी कड़ी में स्वर्ण जात का विरोध राजद के राजनैतिक विचारधारा का अहम हिस्सा है. लालू भी अपने ज़माने में कहते थे- भूरा बाल साफ़ करो. इसमें भू – भूमिहार , रा – राजपूत , बा – ब्राह्मण और ल – लाला ( कायस्थ) से तात्पर्य है. लालू यादव के इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए तेजस्वी यादव ने अब बाबूसाहब यानी राजपूतों पर टिका- टिप्पणी कर दी है.
बिहार में राजपूतों को बाबू साहब और ब्राह्मण को बाबा जी कहा जाता है. ऐसे में तेजस्वी यादव का बयान आया है कि ग़रीब लोग लालू जी के राज में बाबू साहब के सामने सीना तान कर चलता था. तेजस्वी के इन्ही बयान को राजद के मूल विचार से अब लोग जोड़ कर देखने लगे है. भाजपा ने भी अब तेजस्वी के इस बयान को लपक लिया है और बिहार के चुनाव में जातिवादी रस्सा-कस्सी तेज हो गयी है.
भाजपा के नेता सुशील मोदी ने तेजस्वी यादव की बात को स्वर्ण विरोधी करार देते हुये कहा है की लालू यादव ने भी भूरा बाल साफ़ करने की बात की थी उसी सिलसिला को आगे बढ़ाते हुये तेजस्वी ने यह बयान दिया है.
राजद के राजनीति को समझने वाले कहते है- राजद को पता है कि स्वर्ण विरोध से उनका कोर वोट बैंक मजबूत होगा और बिहार में मुस्लिम और यादव समाज ही राजद के प्रमुख वोटर है. तेजस्वी इस बात को भली- भांति समझते है.
बाबू साहब के सामने सीना तान कर चलने की इस बात से अब भाजपा भी स्वर्णो को गोलबंद करने का कोई मौका नहीं छोड़ने देना चाहतीं है.
नोट- अब बिहार को जातिवाद के राजनीति से आगे बढ़ने का समय आ गया है. हमें अपना वोट जाती- धर्म के भेद से आगे बढ़कर विकास के तर्ज पर करना चाहिए – मतदाता बुद्धि विवेक से अपना सशक्त विधायक चुनें.