पटना । प्रेम कहानियों से निकल कर अमलतास और गुलमोहर बिहार के शहरों में मोहल्लों की पहचान बनेंगे। पेड़ बताएंगे कि कौन सा मोहल्ला गुलमोहर वाला है या फिर अमलतास या करंज वाला। हालांकि इस काम को पूरा होने में वक्त जरूर लगेगा, लेकिन यदि सरकार की योजना जमीन पर उतरी तो शहर की फिजां बदली नजर आएगी।
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शहरी क्षेत्र में बढ़ेगा हरित आवरण
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने ऐसी योजना पर काम शुरू किया है, जिससे ये पेड़ मोहल्ले की पहचान बन जाएंगे। यह योजना प्रदूषण के बढ़ते स्तर को कम करने और हरियाली आवरण बढ़ाने के उद्देश्य से बनाई गई है। सरकार पिछले कई दशकों से शहरी क्षेत्रों में पौधरोपण का काम कर रही है। लेकिन आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिली है। वजह है आबादी का तेजी से बढऩा और अनियोजित तरीके से शहरों का हो रहा विकास। शहरों में निर्माण के एवज में पेड़ काटे गए। बदले में पौधे लगे भी, लेकिन इन पौधों को पर्याप्त संरक्षण नहीं मिला।
मानचित्र को आधार बना लगेंगे पौधे
अब जबकि जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव दिखने लगे हैं तो शहरी क्षेत्र को हरा-भरा करने की योजना बनाई गई है। मानचित्र बताएंगे कौन सी सड़क, पार्क या फिर खाली जगह है जहां पौधे लगाए जा सकते हैं। फिर मिïट्टी की जांच के बाद तय होगा वह जगह किस विशेष पौधे के अनुकूल है।
योजना पर अमल की जिम्मेदारी वन प्रमंडलों की
किसी मोहल्ले, सड़क या पार्क में एक ही प्रकार के फूलदार पौधे लगाए जाएंगे। भविष्य में यह पेड़ मोहल्लों को पहचान देंगे। जैसे गुलमोहर मोहल्ला, अमलतास रोड, उड़हुल मोहल्ला या फिर करंज पार्क। योजना को अमल में लाने की जिम्मेदारी वन प्रमंडल की होगी।
नजर आएगा बड़ा बदलाव
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि पूरी योजना तैयार है। शहरी क्षेत्र जहां पौधे लगाए जाने हैं उनकी पहचान भी जल्द ही हो जाएगी। कहा, हमारी कोशिश अगले वर्ष मानसून से पहले इस योजना को लागू करने की है। सबके सहयोग से योजना अमल में आएगी और शहरी क्षेत्र में बड़े बदलाव नजर आएंगे।
Input : Dainik Jagran