भारतीय सेना ने शनिवार को एक वीडियो जारी किया है. वीडियो सिर्फ 24 सेकेंड का है. इसमें 9 लोग नृत्य करते नजर आ रहे हैं. इनके हाथ में छोटा-सा कुछ है, जिसे ये चमका रहे हैं. कोई गीत नहीं बज रहा. हां, म्युजिक है. इस 24 सेकेंड के वीडियो में नृत्य कर रहे सेना के जवानों को आप सिर्फ हो कहते सुन पायेंगे. लेकिन, म्युजिक और उनका नृत्य आपका मन मोह लेगा.

भारतीय सेना की ओर से जारी किये गये इस शॉर्ट वीडियो को न्यूज एजेंसी एएनआई ने ट्वीट किया है. इसमें बताया गया है कि भारतीय सेना के जवान जम्मू-कश्मीर में ये नृत्य कर रहे हैं. बर्फ से ढका यह जगह उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिला में स्थित तंगधार सेक्टर बताया गया है. जहां जवान नृत्य कर रहे हैं, चारों ओर बर्फ की मोटी चादर है. शान से तिरंगा लहरा रहा है.

तिरंगा के पास हमारे जवान पूरे जोश से नाच रहे हैं. भारतीय सेना ने कहा है कि सेना के ये जवान ‘खुकुरी डांस’ कर रहे हैं. दरअसल, खुकुरी एक औजार है. यह हथियार भी है. जरूरत के हिसाब से इसका इस्तेमाल बदल जाता है. अगर घरेलू काम लेना हो, तो आम आदमी का यह औजार है. अगर युद्ध के मैदान में सैनिक इसे लेकर पहुंच जाये, तो यह उसका हथियार बन जाता है.

गोरखा समुदाय के लोगों के लिए खुकुरी बहुत महत्वपूर्ण होता है. बच्चा बड़ा होने से पहले खुकुरी का इस्तेमाल करना सीख जाता है. दोनों ही रूपों में. औजार के रूप में भी और हथियार के रूप में भी है. कहा जाता है कि घर से लेकर पहाड़ तक और सेना के जवान जंग के मैदान तक इसे अपने साथ लेकर जाते हैं. लकड़ी काटना हो, जंगल में-पहाड़ पर शिकार करना हो या जंग के मैदान में दुश्मन का सिर कलम करना, खुकुरी के साथ ये सारे हुनर गोरखा अपने बच्चों को सिखा देते हैं.

कहते हैं कि जब गोरखा का बच्चा सेना में भर्ती होता है, तो खुकुरी उसका तीसरा हाथ बन जाता है. निकट युद्ध में यह हल्का-फुल्का हथियार गोरखा जवानों के बहुत काम आता है. इसका इतिहास भी बहुत अनोखा है. कहते हैं कि वर्ष 1767 में गोरखा के राजा पृथ्वी नारायण शाहदेव ने नेपाल की घाटी पर फतह हासिल की और नेपाल के पहले नरेश बने.

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पृथ्वी नारायण शाहदेव के सैनिकों ने नेपाल की बहुत बड़ी सेना की टुकड़ी को इसी खुकुरी के दम पर पराजित कर दिया था. माना जाता है कि इसके बाद ही यह गोरखा समाज का हथियार बन गया. वो ब्रिटिश सेना हो या भारतीय सेना. गोरखा समुदाय के लोग जहां भी गये, अपने इस अस्त्र-शस्त्र यानी खुकुरी को नहीं छोड़ा.

बहरहाल, खुकुरी डांस के जरिये गोरखा सिपाही अपनी जीत का जश्न मनाते हैं. सांस्कृतिक कार्यक्रम हो, विशेष समारोह हो, वे खुकुरी डांस करते हैं. खासकर जब गोरखा ब्रिगेड का बैंड परफॉर्म करता है, वे खुकुरी डांस करते हैं. जब युद्ध के मैदान में विजयश्री हासिल करके गोरखा सैनिक लौटते हैं, तब वे खुकुरी डांस करते हैं. इस डांस को एक तरह से ड्रिल भी माना गया है, जिसे संगीत की धुन पर गोरखा रेजिमेंट के जवान परफॉर्म करते हैं. सेना ने हालांकि यह नहीं बताया है कि भारतीय सेना के जवान ये डांस किस अवसर पर कर रहे हैं.

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