सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा है कि चीन द्वारा की गई हालिया धोखेबाजी ने दोनों देशों के बीच विश्वास में एक कमी पैदा कर दी है। वीके सिंह ने कहा कि युद्ध एक अंतिम विकल्प है, लेकिन कई तरीके हैं, जिससे चीन को सबक सिखाया जा सकता है। एक तरीका है कि चीन का आर्थिक रूप से बॉयकॉट करें। पढ़ें, हिन्दुस्तान टाइम्स के साथ जनरल वीके सिंह का इंटरव्यू…

सवाल: पूर्व सेनाध्यक्ष होने के नाते आप जमीनी हालात कैसे देखते हैं? 

जवाब: जमीनी हालात भारतीय सैनिकों के नियंत्रण में है। कोई घुसपैठ नहीं हुई है।  जहां पीपी 14 का संबंध है, वहां कोई घुसपैठ नहीं है। जहां पीपी 15 क्षेत्र का संबंध है, हर साल वे स्थानांतरित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हम हर साल उन्हें वापस भेज देते हैं। वहीं, जहां पैंगोंग सो की बात है, तो यह पूरे साल नहीं ऐसा होता है। गर्मियों और सर्दी के मौसम में कभी कभार ऐसी स्थिति आती है। इस बार उन्होंने कुछ ऐसा किया, जो उन्होंने पहले कभी नहीं किया था।

सवाल: जैसे क्या?

जवाब: फिंगर 4 पर अपने कुछ सैनिकों को इकट्ठे करने की कोशिश। यह उन्होंने पहली बार किया है। इससे उनका उद्देश्य साफ है कि वे हमें फिंगर 4 से पीछे करना चाहते हैं लेकिन हमारे सैनिक उन्हें जवाब दे रहे हैं।

सवाल: क्या बातचीत इसी के लिए थी?

जवाब: बातचीत उन मुद्दों को लेकर हुई है, जहां पर उन्होंने उल्लंघन किया है। जैसे- पीपी 14 के बारे में वे कहते हैं कि एलएसी यहां नहीं है। उन्होंने कहा है कि यहां काफी समय से वे हैं। चुमार सहित अन्य क्षेत्रों के लिए भी यही है। वे कोशिश करते हैं और डीबीओ के विपरीत ऊंचाइयों पर आते हैं। यह सब बहुत पुराना है और कुछ नया नहीं है। नया यह है कि अब बुनियादी ढांचा बेहतर हो गया है।

सवाल: झड़प के दौरान कितने चीनी सैनिक मारे गए? क्या हमने किसी पीएलए के सैनिक को पकड़ा और अगर हां तो कितने?

जवाब: साल 1962 के युद्ध में, उन्होंने कभी नहीं बताया कि उनके कितने सैनिक हताहत हुए थे। साल 2000 के आसपास उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि कुछ सौ सैनिक मारे गए, लेकिन जिन्होंने वहां लड़ाई लड़ी थी, वे असली संख्या के बारे में जानते हैं कि उनके कितने सैनिक मारे गए थे। वे धोखे में रखना जानते हैं क्योंकि वे नहीं चाहते कि लोग सरकार विरोधी हो जाएं और आपत्ति उठाएं। मुझे विश्वास है कि वो मृतकों को ऐसे निपटाएंगे, जिससे किसी अन्य को कुछ पता नहीं चलेगा। शुरुआत में, मीडिया में खबरें आई थीं कि 43 सैनिक मारे गए हैं। मुझे लगता है कि जिसने भी यह संख्या बताई, वह सैनिकों के हवाले से बताई थी। यह संख्या इससे भी अधिक हो सकती है।

सवाल: चीन के सैनिक हमारे क्षेत्र में थे या नहीं, इसको लेकर अस्पष्टता रही है। अब वे गलवान घाटी पर भी दावा कर रहे हैं।

जवाब: वे हमारे क्षेत्र में नहीं हैं। एलएसी को लेकर 1959 के नक्शे से व्याख्या है और चीन इसको लेकर अपने दावे आगे बढ़ाता रहता है। एलएसी जमीन पर मार्क नहीं है, इस पर कोई समझौता भी नहीं है। लचीलेपन की एक निश्चित मात्रा है। लेकिन वहां दोनों पक्ष अपनी सीमा को जानते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि ये संरक्षित रहे।

सवाल: पीएम मोदी ने कहा है कि हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। आप क्या सोचते हैं कि चीन से कैसे बदला लिया जा सकता है?

जवाब: अगर आप प्रतिक्रिया के बारे में बता देंगे तो फिर इसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा। मुझे पूरा विश्वास है कि आवश्यक लोगों को यह काम सौंप दिया गया है कि क्या किया जा सकता है। पहली बात चीनी सामानों का बहिष्कार करना होगा। यहीं से शुरू करना चाहिए। उन्हें आर्थिक रूप से चोट पहुंचानी होगी। हमेशा युद्ध आखिरी विकल्प ही होता है। जब बाकी चीजें विफल हो जाती हैं, तब आप युद्ध का विकल्प चुनते हो।

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