एक मुस्लिम युवक ने मजहब की दीवार तोड़कर मानव धर्म निभाते हुए महिला का दाह संस्कार किया। ऐसा कर युवक ने मनेर की सूफियाना तहजीब को फिर से जीवंत किया। नगर पंचायत के वार्ड-9 मीराचक में एक वृद्ध महिला रह रही थी। पति की मौ’त बहुत वर्षों पहले हो गई थी, महिला के कोई संतान नहीं थी।

काजी मोहल्ले में चंदू खान की दुकान के समीप दौलतिया देवी फुटपाथ पर फल-सब्जी बेच कर गुजर-बसर करती थी। स्वास्थ्य खराब होने पर कुछ महीनों से उसने फल-सब्जी बेचना बंद कर दिया था। मोहल्ले के लोग उसे खाना देते थे। सोमवार को मीरा चक के खंडहरनुमा घर में उसकी मौत हो गई। महिला का शव पड़ा रहा लेकिन दाह संस्कार के लिए कोई आगे नहीं आया। मंगलवार को चंदू खान ने अपने भतीजे जावेद खान को बुलाया और उसे दाह-संस्कार के लिए तैयार किया।

मंगलवार को गंगा के किनारे हल्दी छपरा घाट पर हिंदू रीति-रिवाज से जावेद ने महिला का अंतिम संस्कार किया। मुखाग्नि उसके चाचा चंदू खान ने दी।

जावेद खान ने कहा कि महिला के मजहब को लेकर पहले उसे थोड़ी घबराहट हुई मगर चाचा चंदू खान के साथ वार्ड पार्षद अमोल बजाज के पास गए और उन्हें जानकारी दी। उन्होंने हिम्मत बंधाई और दाह संस्कार के लिए आर्थिक मदद भी दी। शव यात्रा के लिए नगर पंचायत से ट्रैक्टर उपलब्ध कराया गया।

जावेद ने कहा कि कि समाज का सहयोग मिला तो वह महिला का दशकर्म करेगा और ब्रह्मभोज भी करवाएगा। उसने बताया कि महिला के रिश्तेदारों का किसी को कुछ पता नहीं है।

Input : Dainik Jagran

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