चारों ओर पसरे मातम के बीच वर्ष में एक दिन ऐसा आता है जब महाश्मशान पर होली खेली जाती है, जी हाँ, महाश्मशान की होली, स्वयं प्रभु महादेव की होली , महादेव ही जीवन के रचैता है, हमारे पालनहार है. शिव भक्ति के बिना जीवन बेकार है, शंकर- संकट हरण, भोले बाबा की महिमा अद्भुत है.
मोक्षदायिनी काशी नगरी के मणिकर्णिका महाश्मशान घाट पर कभी चिता की आग ठंडी नहीं पड़ती, चौबीसों घंटें चिताओं के जलने और शवयात्राओं के आने का सिलसिला चलता ही रहता है. चारों ओर पसरे मातम के बीच वर्ष में एक दिन ऐसा आता है जब महाश्मशान पर होली खेली जाती है, वे भी रंगों के अलावा चिता के भस्म से होली.
मणिकर्णिका महाश्मशान की कहानी जग जाहिर है, चिता आग से हमेशा जलती रहती है, मणिकर्णिका महाश्मशान. यहाँ चारो तरफ़ सिर्फ शव जलते है और मातम के चीत्कार से महाश्मशान गूंजता रहता है लेकिन होली से पहले वर्ष में एक दिन ऐसा आता है जब महाश्मशान में ढ़ोल नगारे बजाये जाते है और जलते शव के बीच डी. जे के धुन पर महादेव के भक्त झूमते है और शिव भक्ति में चिता के भष्म से होली खेलते है, ये दिन होता है रंगभरी एकादशी का जब महादेव भूत- पिचाशो संग होली खेलते है.
श्मशान से शिव का गहरा सम्बंध है, माँ पार्वती ने एक बार महादेव से पूछा- हे स्वामी आप श्मशान में क्यों वाश करते है, भोले भंडारी ने जवाब दिया कि शमशान ही ऐसा जगह है जो मनुष्य को राम की याद दिलाती है, शमशान तक जाने वाला शव लोगो को राम के होने का अहसाह दिलाता है, शव अपने पीछे चलने वाले लोगो से राम का नाम जाप करवाता है, लोग शव के पीछे राम- नाम सत्य है बोलते है, और ये उनसे शव बुलवाता है इसलिये मुझे शव से प्रेम है.
महादेव सम्पूर्ण जगत को चलाने वाले है, और राम नाम ऐसा है जो सबको प्रिय है, जीवन का वास्तविक सत्य ही राम है और श्मशान सत्य का परिचायक है, मनुष्य जीवन का सत्य ही शव है.. इस ब्रह्मांड का सत्य सिर्फ शिव है…
इसलिये कहते है खेले मसाने में होली दिगम्बर खेले मसाने में होली, महादेव को मानने वाले चिता भष्म से होली खेल खुद को शिव चरणों मे समर्पित करते है, इसलिये महादेव को महाश्मशान की होली प्रिय है.. हर हर महादेव शिव शंकर, इस बार होली में भोले भंडारी, भोलेनाथ को नमन करे और शिव को ध्यान में रख सत्य के मार्ग पर चले..