कहा जाता है कि महाभारत ग्रंथ को घर में रखने से घर में कलह होती है। हालांकि अभी अधिकांश घरों से रामायण की धुन के साथ महाभारत की वाणी भी सुनने के लिए मिल रही है।
धार्मिक ग्रंथों और धार्मिक चीज़ों के प्रति लोगों का विश्वास कभी कम नहीं होता क्योंकि लोगों की आस्था सीधे उससे जुड़ी होती है।
महाभारत के समय भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था ताकि वह युद्ध करने के लिए आगे आये और बाण को धारण करे।
वेदव्यास द्वारा रचित महाभारत एक ऐसा महाकाव्य है, जिसके बारे में हमारे देश का हर इंसान जानता है।
द्रोणाचार्य के जन्म से एक मजेदार कहानी जुडी है। कथा के अनुसार द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज थे, जो एक बार नदी में स्नान कर रहे थे। तभी उन्हें घृताची नामक एक अप्सरा दिखाई दी, जिन्हें देखकर वह आकर्षित हो गए और उनके शरीर से शुक्राणु निकल गये। इन्हें भारद्वाज ने एक पात्र (द्रोण) में जमा कर दिया, जिससे द्रोणाचार्य का जन्म हुआ इसलिए द्रोणाचार्य को पहले टेस्ट ट्युब बेबी थे।
महाभारत का असली नाम जया (जयम) था।
आपने कौरवों के बारे में देखा और सुना होगा कि वह पांडवों के खिलाफ थे मगर सभी कौरव पांडवों के खिलाफ नहीं थे। धृतराष्ट्र के दो पुत्र विकर्ण और युयुत्सु ने ना सिर्फ दुर्योधन के गलत कार्यों पर आपति जताई थी बल्कि द्रोपदी चीरहरण का भी काफी विरोश किया था। यह दोनों युद्ध के पक्ष में भी नहीं थे लेकिन भाई से धोखा ना कर इन्होंने मज़बूरी में युद्ध किया और वीरगति प्राप्त की।
दुर्योधन का असली नाम सुयोधन था।
महाभारत में विदूर को यमराज का अवतार कहा जाता है।
अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु में असल में दानव की आत्मा थी। जिसका नाम काल्यान था।
भीष्म पितामह का असली नाम देवव्रत था।