महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से जोरदार झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने विशेषाधिकार हनन मामले में अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा सचिव को अवमानना का नोटिस भी जारी किया है। SC ने आज पूछा कि महाराष्ट्र विधानसभा सचिव के खिलाफ महाराष्ट्र विधानसभा सचिव के खिलाफ अदालत की अवमानना ​​का कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए, अर्नब गोस्वामी की याचिका पर महाराष्ट्र विधानसभा सचिव ने उन्हें विशेषाधिकार नोटिस जारी किया।

CJI एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अर्नब गोस्वामी को उनके मामले के खिलाफ जारी विशेषाधिकार नोटिस में सुनवाई तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा सचिव ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की आलोचना के लिए अर्नब के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस जारी किया था।

अर्नब गोस्वामी को मुंबई के नजदीक रायगढ़ जिले से बुधवार 4 नवंबर की सुबह करीब आठ बजे गिरफ्तार किया गया था। करीब दो साल पुराने एक मामले यह कार्रवाई हुई थी। 2018 में अलीबाग में वास्‍तुविद अन्‍वय नाईक ने अपने बंगले में आत्‍महत्‍या कर ली थी। उनके साथ उनकी मां ने भी खुदकुशी की थी। मां कुमुद का शव भी कमरे के सोफे पर मिला था। इसके बाद सुसाइड नोट में तीन कंपनियों पर पैसे का भुगतान नहीं करने का आरोप लगाया था। इसमें से एक अर्नब की रिपब्‍लिक कंपनी भी थी।

अर्नब पर आरोप है कि ऑफिस का काम करवाने के बाद उनके 83 लाख रुपए नहीं दिए। पुलिस ने खुदकुशी का मामला दर्ज कर जांच शुरू की लेकिन बाद में केस बंद कर दिया गया। राज्य में सरकार बदलने के बाद पीड़ित परिवार ने एकबार फिर से मुद्दा उठाया और न्याय की गुहार लगाई। मई महीने में गृहमंत्री अनिल देशमुख ने जांच CID को सौंप दी। इसी मामले में अलीबाग पुलिस अर्नब गोस्वामी के घर पहुंची और उन्हें हिरासत में लिया। जब अलीबाग कोर्ट में अर्णब ने 4 नवंबर को पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया, तो मजिस्ट्रेट ने सरकारी डॉक्टर से उनकी मेडिकल रिपोर्ट सौंपने को कहा। देर रात अर्णब को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

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