महादेव के ना पिता है ना ही माता, शिव स्वयम्भू है, इन्होने स्वयं खुद की रचना की है, इस धरती की रचना की है.. सिर्फ मंदिर में ही नहीं मन में भी महादेव है, वो जगत के रचैता है. कण- कण में महादेव है. बेलपत्र- भांग- धतूर उन्हें प्रिय है लेकिन उन्हें उससे भी प्रिय हम और आप है, क्योंकि महादेव हमारे जनक है, धरती पर हमारे होने का सूत्रधार है.
शिवलिंग पर बेलपत्र- भांग, धतूर आर्पित कर हम बस महादेव के प्रति प्रेम प्रकट कर सकते है और वहीं मात्र हमारे जीवन का उद्देश्य नहीं है, वास्तिवक उद्देश्य है महादेव के रंग में रंग जाना, भोले का दीवाना हो जाना.
शंकर संकट हरण !! देवाधिदेव महादेव का पावन उत्सव महाशिवरात्रि, शिव की महिमा और आस्था का उत्सव है.
जगत के पालनहार महादेव का माँ पार्वती से पावन सूत्र में बंधने का जलसा है. शिव उपासको के लिये महाशिवरात्री एक मात्र दिवस नहीं बल्की एक ऐसा दिन है जो हृदय को शिवभक्ति में रमा कर भोलेनाथ के धुन में झूम जाने को कहता है, शिव की महिमा निराली है, और इसी निरालेपन का प्रतीक है भोलेनाथ की बारात, देवता से लेकर पिचाश तक , मनुष्य क्या पशु भी पुण्य और परमात्मा ही नहीं बल्कि दैत्य और रंक भी शिव भक्ति में डूब कर जीवन को शिव चरणों मे समर्पित करते है, और करबद्ध कहते है, हे महादेव तुम जनक हो, तुम से ही मैं जन्मा हूं और तुममे ही समाहित हो जाऊंगा. तुम मेरे उत्पत्ती का कारक हो और तुम्हारी उपासना ही मेरे जीवन का उद्देश्य, ये जो दुनियावी चीज़ो का आडम्बर है.
ये मुझे तुमसे दूर करता है, शिवरात्री का दिन कहता है इस आडम्बर के बंधन से मुक्त होकर शिव चरणों में झूम जाओ, क्योंकि सब कुछ अनिश्चित है जो निश्चित है वो ये की जीवन के बाद हमें शिव चरणों मे जाना है, महाकाल ही जिवन के जनक है और महाकाल ही जीवन के संचालक है, शिव कैलाशा जल , कण से लेकर शमसान तक वाश करते है, शिव अघोरी है, शिव जीवन है- शिव मृत्यु है शिव है तो हम है, शिव के बिना कुछ संभव नहीं, शिव दयावान है, ये मत सोचो तुमने कल तक क्या किया, ये निश्चत करो कि तुम कल से क्या करोगे.
जाने अनजाने में हुए भूल का भोलेबाबा से मांफी मांगो और बाबा गरीबनाथ के चरणों मे लेट जाओ और कहो, हे महादेव मुझे माफ़ करे आज से तुम्हारे चरण में हूं, शिवलिंग का अभिषेक करो और नवजीवन की शुरुआत करो, छल- कपट ईर्ष्या द्वेष का त्याग करो , बाबा बैधनाथ के भरोसे सब छोर दो और शांत हृदय से ॐ नमः शिवाय बोल आगे बढ़े, देखो भोलेनाथ कैसे तुम्हारे जीवन में नवरंग भर देंगे, चलिए इस शिवरात्रि खुद को शिव को समर्पित कर नव संकल्प लेते है.
यहीं भोलेनाथ की भी इच्छा है, महादेव को प्रसन्न करना एक दिन का कार्य नहीं है, ये तप है तपस्या है, निरंतर महादेव को मन में सजीव रखो, गलत करने से खुद को रोको दान पुण्य करो और शिव के नाम का प्रतिदिन ध्यान करो. हमारा भोले बहुत दयावान है… हर हर महादेव ! शिव शंकर.