भारतीय‌ नौसेना में महिला सम्मान के लिए आज ऐतिहासिक दिन है. नौसेना को पहली महिला पायलट मिल गई हैं. सब-लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह ने कमान संभाल ली है. बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली सब-लेफ्टिनेंट शिवांगी कोच्चि में अपनी ट्रैनिंग पूरी करने के बाद नौसेना के डोरनियर एयरक्राफ्ट के कॉकपिट में उड़ान भरने के लिए तैयार हुईं.

नौसेना के मुताबिक, सब-लेफ्टिनेंट शिवांगी ने शार्ट‌ सर्विस कमीशन (एसएससी) का 27वें एनओसी कॉर्स‌ ज्वाइन किया था और पिछले साल यानि जून 2018 में केरल के ऐझीमाला स्थिय इंडियन नेवल एकेडमी में अपनी कमीशनिंग पूरी कर ली थी. करीब डेढ़ साल पायलट की ट्रेनिंग करने के बाद आज यानि 2 दिसम्बर को शिवांगी नौसेना की पहली महिला पायलट बनीं.

कोच्चि स्थित नौसेना की दक्षिणी कमान में सैन्य परंपरा के अनुरूप उन्हें पायलट के तौर पर शामिल किया गया. आपको बता दें कि हर साल 4 दिसम्बर को नौसेना अपना स्थापना दिवस मनाती है. ये स्थापना दिवस 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय नौसेना की बड़ी और निर्णायक कारवाई में विजय के तौर पर मनाया जाता है. 48वें स्थापना दिवस से पहले भारतीय‌ नौसेना ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है. नौसेना की पहली पायलट, शिवांगी नौसेना का टोही विमान, डोरनियर उड़ाएंगी, जो समंदर में देश की समुद्री सीमाओं की निगरानी करता है.

नौसेना में करीब 70 हजार नौसैनिक और अधिकारी हैं. लेकिन महिलाओं की संख्या है मात्र 400 है. अभी तक नौसेना में महिलाएं प्रशासन, कम्युनिकेशन, इंजीनियरिंग, एजुकेशन इत्यादि ब्रांच में ही थी,‌अब कॉकपिट के दरवाजे भी खुल गए हैं. लेकिन महिलाएं अभी भी युद्धपोत पर नहीं तैनात की जा सकती हैं.‌ लेकिन वायुसेना ने महिलाओं को कॉम्बेट रोल दे दिया. वायुसेना की तीन महिला पायलट फाइटर एयरक्राफ्ट उड़ा रही हैं.

 

थलसेना ने भी अभी तक महिलाओं को युद्ध के मैदान में जाने की इजाजत नहीं दी है. थलसेना की संख्या करीब 13 लाख है. लेकिन दुनिया की दूसरी बड़ी फौज में महिलाओं की संख्या मात्र 1450 है. ये महिलाएं भी मात्र ऑफिसर-लेवल पर हैं. जेसीओ और नॉन-कमिश्नड ऑफिसर यानि जवान (निचले स्तर) के स्तर पर महिलाओं की भर्ती सेना सिर्फ मिलिट्री-पुलिस के लिए हाल ही में खोली गई है.

 

थलसेना में महिलाएं सिर्फ सिगनल्स, इंजीनियरिंग, मेडिकल कोर, इंटेलीजेंस, जैग (लीगल ब्रांच), मिलिट्री-पुलिस इत्यादि में ही जगह पा सकती हैं. इंफेन्ट्री, आर्टेलैरी और आर्मर्ड कोर में उनकी भर्ती पर पूरी तरह से पाबंदी है. यही वजह है कि सशस्त्र सेनाओं में महिलाओं को स्थायी भर्ती देने के लिए सरकार एक समान नीति लाने पर विचार कर रही है.

 

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