कच्ची सराय रोड स्थित प्रसिद्ध मां पीतांबरी बगलामुखी सिद्धपीठ मुजफ्फरपुर ही नहीं, सुदूर क्षेत्रों के लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर में स्थापित माता की अष्टधातु की प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। माता को हल्दी व दूब से पूजा करने पर वे खुश होती हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है।
स्थापित है ‘सहस्त्र दल महायंत्र’
ऐसा कहा जाता है कि मंदिर के ठीक नीचे सर्व मनोकामना सिद्ध ‘सहस्त्र दल महायंत्र’ स्थापित है जो हर व्यक्ति की मुरादें पूरी करती हैं। नवरात्र में यहां देशभर से दर्जनों अघोर तांत्रिक साधना के लिए जुटते हैं। यहां दश महाविद्या में मां का आठवां स्वरूप है। ऐसी मान्यता है कि यहां 21 दिन नियमित दर्शन करने आने पर मां भगवती भक्त की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं।
ऐसे आएं मंदिर
स्टेशन पहुंचने के बाद वहां से सीधे पूरब की ओर पुरानी धर्मशाला चौक, मोतीझील, कल्याणी चौक, छोटी कल्याणी व अमर सिनेमा रोड होते हुए हाथी चौक आना है। वहां से बाएं मुड़कर चंद कदम आगे बढ़ना है। चौक से करीब सौ मीटर की दूरी पर दाहिने तरफ माता का मंदिर है।
विशेषता
कहते हैं कि वर्तमान महंत अजीत कुमार के पूर्वज वैशाली के महुआ आदलपुर से आकर यहां बसे थे। मां बगलामुखी इनके परिवार की कुलदेवी थी। माता की इस परिवार पर असीम कृपा थी। श्री कुमार के परदादा रुपल प्रसाद ने मंदिर की स्थापना के पूर्व कोलकाता के तांत्रिक भवानी मिश्रा से गुरु मंत्र लिया। उन्हीं की प्रेरणा से मंदिर की स्थापना हुई। कालांतर में अजीत कुमार ने अपनी माता कमला देवी से तंत्र साधना सीखी। वाम व दक्षिण मार्ग से मंदिर में तांत्रिक चेतना जागृत की। धीरे-धीरे तांत्रिक शक्तियों के कारण लोगों की आस्था इस मंदिर में बढ़ी और भीड़ बढ़ने लगी। बाद में यहां मां त्रिपुर सुंदरी, मां तारा, बाबा भैरवनाथ व हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित हुई।