मुजफ्फरपुर : कलाकार अक्षत उत्कर्ष के चाचा विक्रांत किशोर ने बताया कि मुंबई पुलिस ने सहयोग नहीं किया। पुलिस अधिकारी ने कहा पोस्टमार्टम रिपोर्ट व बॉडी लो और चले जाओ। आपको इससे ज्यादा मतलब नहीं है। उन्हें प्राथमिकी की कॉपी भी नहीं दी। पोस्टमार्टम कराने में भी आनाकानी की। मुंबई पुलिस का हवलदार बार-बार उन्हें यह समझाने का प्रयास करता रहा कि उसने हमारा काम करा दिया है। अंत में जब उन्होंने पुलिस वाले से कहा कि आपने हमारा काम नहीं कराया। जब बिहार से दो-चार फोन आए तब आप सामने आए। पोस्टमार्टम में काम आने वाला सामान उनसे दो बार खरीदवाए। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की या नहीं यह भी नहीं बताया। बस इतना ही बताया कि पांच-छह लोगों का बयान रिकॉर्ड किया है। ये बयान किन लोगों के दर्ज किए गए और क्या बताया इसकी जानकारी भी उन्हें नहीं दी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद जब उन्होंने अक्षत के सामान की मांग की तो पुलिस ने बताया कि मोबाइल जांच के लिए रखा है। अन्य सामान के लिए स्नेहा चौहान से संपर्क करें। स्नेहा का नंबर उन्हें दिया। उस पर फोन किया तो वह दस मिनट में आने की बात बताई और कई बार फोन करने के बाद करीब 45 मिनट बाद अक्षत के प्रशिक्षक अभिनव चतुर्वेदी के साथ पहुंची। जब उसके साथ गए तो अक्षत का कमरा खुला था। इले सील नहीं किया गया था। स्नेहा ने बताया कि 27 सितंबर की शाम अक्षत दो लीटर दूध व बिस्किट का पैकेट लेकर कमरे पर आया था। उसने उसे दो बिस्किट दिए और अपने बेड पर चला गया। वह मोबाइल का हेडफोन लगाकर कुछ सुनने लगी। करीब डेढ़ घंटे के बाद कोई आहट नहीं हुई तो वह उसके कमरे में देखने गई कि वह क्या रहा है? वह अपने बिस्तर पर उचक कर बैठा था। उसके गले में पंखे से गमछे का फंदा था। इसकी सूचना हाउसिंग सोसाइटी के सचिव को दी। सचिव ने ही कैंची से गमछा को काटा। साथ ही पुलिस को सूचना दी। सोसाइटी के लोगों ने जांच की तो उसकी सांस व धड़कन नहीं चल रही थी।

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प्राथमिकी की कॉपी और दर्ज बयान की नहीं दी जानकारी

सामान मांगा तो पुलिस ने कहा मोबाइल जांच के लिए रखा है

एमबीए के बाद पकड़ी थी मुंबई की राह

अक्षत को अभिनय का बचपन से शौक था। दो साल पहले एमबीए करने के बाद उसने फिल्मों में किस्मत आजमाने मुंबई निकल पड़ा था। वहां मुबंई के अंधेरी वेस्ट सुरेश नगर के आरटीओ लेन स्थित गोकुल बिलिं्डग की चौथी मंजिल पर 116 नंबर फ्लैट में रह रहा था। उसी फ्लैट के दूसरे कमरे में उसकी रूममेट स्नेहा चौहान रहती थी।

चाचा पर रखी जा रही थी निगरानी

अक्षत के चाचा ने बताया कि मुंबई में उन पर निगरानी रखी जा रही थी। ये निगरानी सोसाइटी के सचिव अक्षत के प्रशिक्षक रहे अभिनव चतुर्वेदी व अन्य रख रहे थे। सब यह जानने की कोशिश कर रहे थे कि वे मुंबई में अगला क्या कदम उठाने जा रहे हैं? जब वे स्नेहा से बात कर रहे थे तो दरवाजे की ओट में वे लोग बातें सुनने का प्रयास कर रहे थे।

27  की रात स्नेहा ने बुआ के लड़के को सुसाइड की दी सुचना

विक्रांत किशोर ने बताया की 27 सितंबर की रात स्नेहा चौहान ने बेंगलुरु में रह रहे अक्षत के बुआ के लड़के को फोन किया। बताया कि अक्षत ने सुसाइड अटेंप्ट किया है। वह अस्पताल में भर्ती है। स्नेहा से ज्यादा जानकारी देने से इन्कार कर दिया। इस पर कोकिलाबेन हॉस्पिटल के थाना में फोन किया तो वहां से अक्षत जहां रहता था वहां के थाना से संपर्क करने को कहा गया। इंस्पेक्टर पोटे का नंबर दिया। पोटे ने फोन पर बताया कि अक्षत जिंदा है और कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती है। वे मुंबई जाने को टिकट बुक करा रहे थे तो इंस्पेक्टर पोटे ने फोन कर बताया कि अक्षत की मौत हो गई। उसके बाद जब मुंबई एयरपोर्ट पर थे तो पुलिस ने फोन कर थाने आने को कहा। अस्पताल जाने की बात कही तो कोकिलाबेन के बजाय कूपर हॉस्पिटल के पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने को कहा गया।

कॉलेज की साथी आकांक्षा से फोन पर हुआ था झगड़ा

विक्रांत ने बताया कि स्नेहा ने जानकारी दी कि एमबीए में अक्षत की क्लासमेट आकांक्षा दुबे से 27 सितंबर को झगड़ा हुआ था। रुपये के लेनदेन को यह विवाद हुआ था। क्या मामला था ये नहीं बताया।

नवोदित कलाकार अक्षत उत्कर्ष के दादा डॉ.रामकिशोर चौधरी हिंदी के प्रकांड विद्वान थे। वे एमपीएस साइंस कॉलेज के प्राचार्य से सेवानिवृत्त हुए थे। राजनीति से भी उनका गहरा नाता था। मूलरूप से सिवाईपट्टी थाना के सुरजन पकड़ी गांव के रहने वाले थे। सिकंदरपुर के नाला रोड में उनका बड़ा मकान है। 1980-85 के दौड़ में भाकपा के बड़े नेताओं में उनका शुमार होता था। बाद में वे कांग्रेस में चले गए।

माता-पिता की इकलौती संतान : अक्षत अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। उन्होंने लखनऊ के एमिटी विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद फिल्म के क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए मुंबई चले गए। वहां अंधेरी वेस्ट में तीन कमरे के एक फ्लैट में रहकर संघर्ष कर रहे थे। उस फ्लैट के एक कमरे में स्नेहा चौहान व दूसरे में यश नाम का युवक रहता था। यश इन दिनों घर गया था। उनके पिता विजयंत चौधरी उर्फ राजू चौधरी जेनरेटर से बिजली आपूर्ति के कारोबार से जुड़े है। वहीं, चाचा विक्रांत किशोर मुजफ्फरपुर कृषि विभाग में कार्यरत थे। कुछ वर्ष पहले उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था।

Source : Dainik Jagran

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