सहायक शिक्षक, राज्यकर्मी के दर्जा सहित पूर्ण वेतनमान एवं समान सेवा सेवा सर्त के मांग पर बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समिति के आह्वान पर TET – STET शिक्षकों ने भी आज 22 वें दिन राज्य के सभी प्रखंड में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और अपर सचिव के पुतले का होलिका द’हन कर अपने आक्रोश का इजहार किया. वहीं सरकारी दमन एवं उदासीनता से आहत चार लाख शिक्षक वेदना स्वरूप इस साल होली नहीं मनाएंगे.

TET – STET उटिर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट मुज़फ़्फ़रपुर के जिलाध्यक्ष मृत्युंजय कुमार एवं जिला मीडिया प्रभारी विवेक कुमार ने कहा कि इस बार का आंदोलन सिर्फ शिक्षक आंदोलन नहीं बल्कि शिक्षा बचाने – बिहार बचाने का आंदोलन है. राज्य में शिक्षा की स्थिति विनाशकारी हो चुकी है. शिक्षा व्यवस्था चौपट होने के कगार पर है. बिहार की शिक्षा व्यवस्था आम जनता की तरफ देख रही है. अगर समय रहते नही चेते तो गरीबों के बच्चे सिर्फ साक्षर हो पाएंगे. वहीं माध्यम वर्ग को भी कुछ खास खुश होने की आवश्यकता नहीं है. अच्छे नाम वाले निजी विद्यालय जिस तरह से ड्रेस, बैग, बैच, पुस्तक, हर साल पुनः नामांकन वग़ैरह-वगैरह के नाम पर लूट रहे हैं वो लूट खसोट और बढ़ेगी.

उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा के एवज में अभी भी लगभग 5 हज़ार का महीना खर्च कर रहें हैं. ये बोझ बिहार सरकार पर पड़ने वाले बोझ से सैकड़ों गुना ज्यादा है. वक्त अभी भी है सभी जनता को सामने आना ही होगा अगर बिहार में शिक्षा और शिक्षक को बचाना है.

RTE के साथ समान स्कूल प्रणाली व कोठारी आयोग की सिफारिशों को लागू करवाना होगा. जिसके तहत अमीर गरीब सभी के बच्चों को एक समान शिक्षा हासिल करने का मौका मिल सके और शिक्षकों को भी इसके तहत प्राप्त अधिकार मिल सके. आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि बिहार सहित पूरे देश में एक अप्रैल 2010 से ही शिक्षा के अधिकार कानून लागू है और इस कानून के बाद अन्य सभी राज्यों में जो भी शिक्षक बहाल किए गए उन्हें पूर्ण वेतन, सहायक शिक्षक एवं राज्य कर्मी का दर्जा तो दिया गया लेकिन बिहार में नहीं, जब एक देश एक टैक्स तो फिर एक देश एक शिक्षा नीति क्यों नहीं ? शिक्षक का वेतन एक समान क्यों नहीं ? हम शिक्षकों को सम्मान चाहिए उचित मेहनताना पूर्ण वेतनमान चाहिए.

जिला मीडिया प्रभारी विवेक कुमार ने कहा कि बिहार की जनता से वादा है आप को अपने बच्चों को किसी भी निजी विद्यालयों में भेजने की आवश्यकता नहीं होगी. अगर आप चुप रहे तो शिक्षा के व्यवसायीकरण हेतु अनगिनत प्राइवेट स्कूल अवांछित प्रजाति/कुकुरमुत्ते की तरह फैल रहे हैं और ना सिर्फ ये फैलेंगे ही बल्कि आपके पुरखों की जमीन पर बने सरकारी स्कूल पीपीपी मॉडल पर निजी हाथों में सौंप दिया जाएगा और आप सब देखते रह जाएंगे तब शिक्षा ले पाना आम आदमी के बच्चों के लिए तो दो दूर, मध्यम वर्ग के लिए भी कठिन हो जाएगा. शिक्षकों के आंदोलन का साथ दें, आगे आएं. हम सब मिल कर शिक्षा बचाएं बिहार बचाएं.

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