आज जैसे नीतीश कभी नहीं दिखे थे। नीतीश के गुस्से की वजह बड़ी थी। जितनी बड़ी समझ सकें, उससे भी बड़ी। विधानसभा की कार्यवाही से तेजस्वी यादव के मुंह से निकलीं बातें तो हटा दी गईं, लेकिन एक बाप के दिल से हटा पाना संभव न था और शायद न होगा। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ऐसा गुस्सा कैसे दिलाया? इसे समझने के लिए सवाल-जवाब के अंदाज में पढ़ें पूरी बात…

तेजस्वी यादव: हमारे माता-पिता ने संस्कार दिए हैं कि बड़ों का सम्मान करो। हम तो आदरणीय नीतीश जी को चाचा कहकर संबोधित करते थे। अब सदन में तो कोई चाचा-भतीजा है नहीं। यहां तो वे सीएम हैं और हम ऑपोजिशन लीडर हैं। लेकिन, हमारे मुख्यमंत्री जी ने क्या कहा बौखलाहट में? बच्चे गिन रहे थे कि किसको कितने बच्चे हैं? लालू प्रसाद के बारे में क्या कह रहे थे? सत्ता पक्ष में चोर और बेईमान लोग हैं। NDA चोर दरवाजे से सत्ता में आया है।

नीतीश कुमार: अगर यही बात है तो आप जांच करवाइए और इसके खिलाफ कार्रवाई होगी। ये झूठ बोल रहा है।

तेजस्वी यादव: नीतीश जी कह रहे थे कि लड़की पर भरोसा नहीं था। (लालू प्रसाद) लड़कों की चाहत में लड़की पैदा करते रहे। आपको जानकारी नहीं होगी मुख्यमंत्री जी कि दो लड़कों के बाद भी हमें बहन है। हम ये भी कहना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री जी को एक बेटा है। है भी कि नहीं, वे ही बताएंगे। हमने चुनाव में किसी पर कोई निजी हमला नहीं किया, मुद्दे की बात की। मुख्यमंत्री जी बच्चे गिनते रहे। नीतीश जी को एक बेटा है, लेकिन लोग यह भी कह सकते हैं कि बेटी के डर से दूसरी संतान पैदा नहीं की।

नीतीश कुमार: मेरे भाई समान दोस्त का बेटा है, इसलिए सुनते रहते हैं। हम कुछ नहीं बोलते हैं। इसके पिता को किसने बनवाया था विधायक दल का नेता। ये पता है? इसको उप-मुख्यमंत्री किसने बनाया था। हमने क्या नहीं किया? हम बर्दाश्त करते रहते हैं। कुछ नहीं बोलते हैं।

राजनीति से दूर और अध्यात्म के करीब है निशांत

1974 से राजनीति कर रहे नीतीश परिवारवाद के खिलाफ हैं, इसलिए 37 साल के इकलौते बेटे निशांत कुमार को भी सामने नहीं करते। पत्नी मंजू सिन्हा जीवित थीं तो पटना के कंकड़बाग में ही अलग रहती थीं। 2010 में मां परमेश्वरी देवी के निधन के बाद नीतीश के बड़े भाई सतीश कुमार पत्नी के साथ सीएम आवास आ गए। अब वही नीतीश के बेटे निशांत की देखभाल करते हैं। निशांत ने एक बार अपनी मां की श्रद्धांजलि सभा के दौरान साफ कहा था कि वह कभी भी पिता की तरह राजनीति में नहीं आएंगे, बल्कि आजीवन अपना जीवन अध्यात्म को ही समर्पित करेंगे।

Input: Dainik Bhaskar

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