इतना पत्थर दिल से कहाँ से लाये हो सांसद साहब,जरा हमें भी तो बतलाओ

मान गए सांसद साहब आपको। माना कि इंसान की गलतफहमी और स्वार्थी रवैये से धरतीं की पानी सुख गई है।मगर इतने मालामाल होने और जनता द्वारा दो दो बार जीता देने के बाद भी आपके आपके आँखों की पानी सुख जाएं, यह मामला थोड़ा समझ में नही आता।

जिस मुजफ्फरपुर की धरतीं पर आपका परिवार और आपने अभी तक 18 साल से लोकतांत्रिक राज किया है और अभी 5 साल करेंगे भी।उस धरतीं पर पिछले 7 सालो से (2010-24,2012-120,2013-39,2014-90,2015-11,2016-4,2017-11,2018-7,2019-36) 350 से ज्यादा मासूमो की जान सिर्फ एक बीमारी से हर साल एक विधिवत कार्यक्रम की तरह व्यवस्था के नाकामियों के द्वारा ले लिया जा रहा है,ओ भी बिना कोई कसूर के।

आपके पूज्य पिता जी को 1996 से 2004 के बाद 5 साल के ब्रेक के बाद 2009 में एक बार फिर मुजफ्फरपुर की गद्दी मिली जो आजतक आपके पास है और 2010 से मुजफ्फरपुर में एईएस बीमारी नाम का आगमन हुआ जो आजतक आपके सत्ता के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही है।

आपकी सत्ता तो सही है साहब मगर ये बीमारी सही नही साहब।

कभी अभिनन्दन समारोह और माला पहनने से फुर्सत मिले तो इन गरीब मासूमो की भी थाह ले लीजिए साहब।थाह उनका भी ले लीजिए जो इस भीषण गर्मी में जल संकट का सामना कर रहे और प्यास के मारे तड़प तड़प कर जिंदगी जी रहे है।

क्या मैं फ़ालतू का सलाह दे रहा हूँ। माफ़ कीजियेगा सांसद महोदय भावना में बोल गया,ओ ये है न की आपकी तरह पत्थर दिल नही है ना।इसलिये तो पूछा हु साहब की इतना पत्थर दिल कहां से लाये हो साहब। जो मुजफ्फरपुर की धरतीं में समा चुके इन मासूमो की दिल दहला देने वाली चीख आपको सुनाई नही दे रही है। जरा मुझे भी तो बताइये ताकि मैं भी अपकीं तरह हो जाऊ और इस तरह के फालतू चीजे न लिख पाऊं।

खैर मुजफ्फरपुर में महामारी ले चुके इस बीमारी से और मुजफ्फरपुर से क्या लेना देना आपको,आप तो मुजफ्फरपुर आये है व्यवसाय करने न,मगर मुजफ्फरपुर के लोगो ने आपको शासक बना दिया तो इसमें आपका कसूर क्या है।सही कहा न…… इतिहास गवाह है अंग्रेज भी आये थे व्यवसाय करने और लोगो ने उन्हें शासक बना दिया।भारत जैसे भूमि के लिए ये कोई नई बात नही है।

जाने दीजिए इन लोगो का तो काम ही गरीबी में जीना और मर जाना।बस आप अपना ख्याल रखियेगा।ध्यान दीजियेगा आपके परिवार के लोगो ये एईएस नामक अज्ञात बीमारी का वायरस अटैक न कर दे।क्योकि ये महामारी का रूप ले चुकी है।

माफ़ कीजियेगा ये मैंने क्या कह दिया आपके बाल बच्चे तो दिल्ली में रहते होंगें न।चलिये कोई बात नही ये जो आप शहर में सिर्फ शनिवार और रविवार को आते है कम से कम उसी दिन भी अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखियेगा।
ऐसा है न की आजकल मुजफ्फरपुर की हवा को किसी की नजर लग गई है।

सांसद साहब एक और बात आप अक्सर पत्रकार के जबाब पर ये कहते आते है कि ये काम मेरा नही है तो ओ काम मेरा नही है। कभी दिल्ली से हाजीपुर होते हुए मुजफ्फरपुर तक के सफर में फ़ुरसत मिले तो देश में एक सांसद होने की जिम्मेवारी को पढ़ लीजियेगा,नेट पर उपलब्ध है।जितना अधिकार एक सांसद होते हुए मोदी जी को उतना अधिकार आपको भी है।

 

आशावादी होने के नाते आपसे आशा है सांसद महोदय की इस बार कम से कम आप संसद में इस मामले को पुरज़ोर तरीके से उठाएंगे और मुजफ्फरपुर के इस अभिशाप को सदा सदा के लिए ख़त्म करने का संकल्प लेंगे।

हां आपसे सवाल इसलिये सांसद साहब क्योकि इस जिले सबसे सर्वोच्च राजनीती पद पर आप विराजमान है और आपके ही परिवार के राजनीती सरंक्षण में पिछले 18 सालों से यह जिला पल रहा है। अगर इस जिले की कोई विशेष उपलब्धि होगी तो उसका भी क्रेडिट आपको जायेगा और इस जिले कोई विशेष नाकामी होगी तो उसके भी जिम्मेवार आप और आपका परिवार होगा।

जब 5 साल में मोदी वाराणसी को बदल सकते है तो फिर आपको और आपके परिवार को तो मुज़फ्फरपुर ने अभी तक पूरे 18 साल दिए है।
सवाल तो बनता है साहब…

अब आपका काम है कि आपके जिले के नाकाम कार्यपालिका और स्वास्थ्य सेवा दे रहे व्यवास्था से सवाल करे और उसका जायजा ले और ये बताये की पिछले 9 सालो से इस जिले ने इस महामारी को दुर करने के लिए क्या क्या किया है।

पुनिश्च: और जनता साहब की तो बात ही छोड़ दीजिए इन्हें मुजफ्फरपुर से बाहर के बच्चे जो की सोशल मिडिया पर ट्रेंड होते है वह दिखाई देते है।मगर अपने ही शहर में सिर्फ एक सप्ताह के भीतर 36 मासूमो का रेप व्यवस्था की नाकामियों द्वारा कर दिया जाता है वह दिखाई नही देता।

ये उनसे सवाल वहाँ पूछतें है जहाँ इनकी आवाज नही पहुँच सकती।मगर उनसे नही पूछ सकते जिनका कान इनके मुँह के बगल में है और जो इन कुकृत्यों का जिम्मेवार है।

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आपका शुभचिन्तक
युवा पत्रकार संत राज़ बिहारी (ये लेखक का निजी विचार है)

 

I just find myself happy with the simple things. Appreciating the blessings God gave me.