जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग एईएस के प्रति जागरूकता के लाख दावे करे लेकिन, सच्चाई कुछ और ही है। जब कोई बच्चा इससे पीडि़त होता है तो उसके अभिभावक को यह पता ही नहीं होता कि वह शुरू के गोल्डन आवर में क्या करे। इसका दुष्परिणाम होता है कि उसे बचा पाना संभव नहीं होता।

सोमवार को एईएस पीडि़त जिस जुड़वा बहन में एक बच्ची की मौत हुई, उसके संदर्भ में जागरूकता की कमी ही दिखी। पीडि़त के अभिभावक ने स्थानीय तौर किसी को भी सूचना नहीं। बच्ची में लक्षण दिखने के बाद उसे स्थानीय तौर इलाज कराया। फिर मुजफ्फरपुर लाया और बाद में एसकेएमसीएच।

नहीं ली कोई मदद

जागरूकता की कमी का ही परिणाम है कि सुबह छह बजे एक बच्ची में जब इसका लक्षण दिखा तो उसके अभिभावक एंबुलेंस की मदद लेने की जगह पहले पैदल और बाद में साइकिल की मदद से अस्पताल पहुंचे। तब तक नौ घंटे बीत गए थे और अभी वह जीवन-मौत से जूझ रही है।

स्थानीय स्तर पर नहीं दी सूचना

रोशनपुर मुशहरी की सुक्की कुमारी के बाद यह बात सामने आई है कि बीमारी के बाद वह आठ घंटे के बाद एसकेएमसीएच आई। सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने एसीएमओ डॉ.विनय कुमार शर्मा व जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ.सतीश कुमार को जांच के लिए भेजा। चिकित्सकों ने जब पूछताछ की तो पता चला कि बीमारी की सूचना आशा, आंगनबाड़ी सेविका को परिजनों ने नहीं दी। न पीएचसी में कोई सूचना दी। परिजनों ने बताया कि दोनों जुड़वा बहन है। पहली बहन रात 12 बजे बीमार पड़ी तो गांव के किसी से मोटरसाइकिल लेकर स्थानीय स्तर पर इलाज कराया। वहां से शहर के एक चिकित्सक के पास गया। इसके बाद हालत बिगडऩे लगी तो करीब 8 बजे एसकेएमसीएच पहुंचा। उसके बाद वहां इलाज शुरू हुआ।

साइकिल के सहारे तय की दूरी

इस बीच दूसरी बहन सुबह करीब छह बजे बीमार पड़ी और उसके बाद परिजन उसे पैदल लेकर चले। करीब दो-तीन किलोमीटर आने के बाद एक साइकिल वाले से मदद मांगी। फिर साइकिल पर लेकर बच्ची को दोपहर तीन बजे के आसपास पहुंची। एक बहन की एईएस से मौत तो दूसरी भी जीवन व मौत से जूझ रही है।

पहला घंटा बहुत महत्वपूर्ण

इलाज कर रहे एसकेएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि दोनों जुडवा बहनों में से एक की मौत हो गई है, दूसरे की हालत गंभीर है। उन्होंने बताया कि यदि बच्चा बीमार होने के एक से दो घंटे के अंदर अस्पताल आ जाए तो उसकी जान का कोई संकट नहीं रहता है। इधर, कई बच्चे बीमार के बाद सीधे पीएचसी गए वहां प्रारंभिक इलाज के बाद एसकेएमसीएच लाया गया। सब क्योर होकर गए हैं।

दोबारा जागरूकता अभियान

एसीएमओ डॉ.विनय कुमार शर्मा ने बताया कि मरीज के परिजनों ने आशा, आंगनबाड़ी व पीएचसी प्रभारी तक कोई जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि पूरे गांव में दोबारा जागरूकता चलाया जा रहा है। इधर, बच्ची की मौत की जानकारी होते ही अधिकारियों की टीम मृतका के घर पहुंची। सीडीपीओ, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. उपेंद्र चौधरी, बीएचएम कुमार रामकृष्ण, मुखिया पति शिवनाथ राय, आशा, सेविका भी पहुंची। पूरी जानकारी ली। वहीं, विधायक बेबी कुमारी भी पहुंचीं और पीडि़त परिवार को सांत्वना दी। गांव में मंगलवार को जागरूकता शिविर लगाया जाएगा।

जांच के बाद ही अगली कार्रवाई

सिविल सर्जन डॉ.एसपी सिंह ने कहा कि बच्चे की मौत के बाद वह खुद जानकारी लेंगे कि आखिर कहां चूक हुई। जब आशा व आंगनबाड़ी सेविका को निगरानी रखनी है, जागरूक करना है तब यह मामला क्यों हुआ। जांच के बाद ही अगली कार्रवाई होगी। सभी पीएचसी प्रभारी को यह निर्देश दिया गया है कि वह हर टोला में जागरूकता कराना सुनिश्चित करें। दीवाल लेखन भी हो ताकि लोगों को जानकारी रहे कि बीमार पडऩे पर कहां जाएं।

यह होना चाहिए, जो नहीं हुआ

– मुशहरी एईएस को लेकर संवेदनशील रहा है। जनवरी से ही जागरूकता की पहल चल रही फिर बिना एंबुलेंस मरीज को मोटरसाइकिल व साइकिल से आना पड़ा अस्पताल

– इलाके में अब भी गैर निबंधित लोग किस तरह कर रहे चमकी-बुखार के बच्चे का इलाज, इसकी रोकथाम के लिए नहीं चल रहा नियमित अभियान

– गांव के हर घर पर जाकर एईएस का पर्चा पढृकर सुनाया जाना चाहिए। इस अभियान में हो रही चूक

– बच्चों को रात में कुछ खिलाकर सोने दें, बीमार पड़े तो सीधे ले जाएं अस्पताल यह संदेश भी नहीं पहुंच पा रहा है।

Input : Dainik Jagran

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