मुजफ्फरपुर। नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण जिले में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है। बूढ़ी गंडक तटबंध पर भारी दबाव है। वहीं अब तक दो लाख से अधिक की आबादी इससे प्रभावित है। दो दिनों में यह संख्या दोगुनी हो गई है। बड़ी आबादी के प्रभावित होने पर सभी बीडीओ और अंचलाधिकारियों को बचाव और राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।

आपदा प्रबंधन प्रशाखा की रिपोर्ट के अनुसार बाढ़ से कुल दो लाख 12 हजार की आबादी प्रभावित हुई है। बूढ़ी गंडक, बागमती और गंडक नदियों के कारण आई बाढ़ से जिले के 10 प्रखंडों की 80 पंचायतें के 451 वार्ड इसकी चपेट में हैं। इसमें से दस पंचायतें पूर्ण और 70 आंशिक रूप से प्रभावित हैं। अभी राहत की बात यही है कि अभी नदी की पेटी में बसे गांव और निचले भाग में पानी फैला है। बूढ़ी गंडक के तटबंध पर दबाव के कारण नदी के बाहरी भाग में भी बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। इसे देखते हुए तटबंधों की निगरानी बढ़ा दी गई है।

सौ से अधिक सामुदायिक रसोईघर

बाढ़ प्रभावितों की संख्या को देखते हुए जिले में 105 सामुदायिक रसोईघर संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा आठ मेडिकल कैंप भी चलाए जा रहे हैं। बाढ़ में घिरे लोगों को बाहर निकालकर सुरक्षित स्थानों पर लाने के लिए 55 सरकारी और 172 अन्य नावें चलाई जा रही हैं।

जलस्तर की ये रही रफ्तार

रविवार को बूढ़ी गंडक का जलस्तर सिकंदरपुर में 53.63 मीटर दर्ज किया गया। यहां खतरे का निशान 52.53 मीटर पर है। बागमती का जलस्तर कटौंझा में 55.20 मीटर पर रहा, जबकि खतरे का निशान 55.23 मीटर पर है। गंडक नदी का जलस्तर रेवाघाट में 54.50 मीटर पर दर्ज किया गया, जबकि यहां पर खतरे का निशान 54.50 मीटर पर चिह्नित है।

Input: dainik jagran

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