माड़ीपुर ओवरब्रिज इलाके में संचालित एक निजी अस्पताल में इलाज को पहुंचे गोबरसही इलाके के मरीज का दो दिनों का 96 हजार रुपये इलाज का बिल बना दिया गया। शव लेने पहुंचे स्वजनों ने जब हंगामा किया तो 66 हजार में मामला सलटा।

पैदल चलकर बेड पर आए और अस्पताल से निकला शव

गोबरसही इलाके के मरीज का इलाज करा रहे स्वजन मुन्ना कुमार ने बताया कि तीन दिन पहले जब वह इलाज के लिए मरीज को लेकर आए थे। उस दिन वह टेंपो से उतर कर सही सलामत बेड तक गर्इं। तत्काल अस्पताल प्रबंधन ने 50 हजार की राशि जमा कराई। 70 हजार मांग रहे थे। दो दिन के इलाज के बाद ऑक्सीजन लेवल कम होने लगा। वहां से स्वजन को खबर मिली कि मरीज की हालत चिंताजनक है। दूसरी जगह पर ले जाएं। मुन्ना ने आरोप लगाया कि जिस तरह से मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत थी उतनी नहीं मिली। सही इलाज नहीं हुआ। जब मरीज का शव लेने आए तो 96 हजार का बिल थमा दिया गया। हंगामा करने पर 66 हजार देना पड़ा तब शव मिला। मुन्ना ने बताया कि एक सप्ताह पहले पति की मौत सामान्य सांस संबंधी बीमारी से हो गई थी। इधर अब पत्नी की भी मौत हो गई।

मजबूरी में दलाल ने यहां पहुंचाया

मुन्ना ने बताया कि कोरोना संक्रमण होने के बाद पहले प्रसाद उसके बाद अशोका अस्पताल गए। वहां पर जगह नहीं मिलने पर एक आदमी ने जूरन छपरा में बताया कि माड़ीपुर ओवरब्रिज के नीचे जाकर इलाज करा लीजिए। यहां आने पर पैसा खर्च हुआ और मरीज की मौत हो गई।

बिना जानकारी दिए अस्पताल का संचालन करने वाले पर होगी कार्रवाई

सिविल सर्जन डॉ.एसके चौधरी ने कहा कि माड़ीपुर ओवरब्रिज इलाके में चलने वाले अस्पताल की जानकारी नहीं है। किसी मरीज ने शिकायत नहीं की है। बिना सीएस कार्यालय को सूचना दिए कोई अस्पताल कोविड का इलाज कर रहा तो यह नियम विरुद्ध है। कोरोना मरीज का इलाज करने वाले को समय पर जानकारी देनी है ताकि उसके संपर्क में आए लोगों की पहचान कर जांच हो। बिना जानकारी दिए अस्पताल का संचालन करने वाले की पहचान कर उस पर सख्त एक्शन होगा। प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। आम लोगों से अपील है कि इलाज में परेशानी हो तो वह लिखित शिकायत करें।

Input: Dainik Jagran

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