दिल्ली के एम्स में लगी भीषण आग की घटना से बिहार का स्वास्थ्य विभाग सबक नहीं ले रहा है. मुजफ्फरपुर के भी सदर अस्पताल व एसकेएमसीएच में लगातार शॉर्ट सर्किट की घटनाएं होती रहती हैं. इसके बाद भी वार्डों में मरीजों के सिर पर झूलते जर्जर तारों को ठीक नहीं किया जा रहा है.

उत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल एसकेएमसीएच के महिला वार्ड की ऊपरी मंजिल के वार्ड में बिजली आपूर्ति नहीं थी. लोड नहीं लेने के कारण पंखे नहीं चल रहे थे. अस्पताल कर्मियों की मानें तो जुलाई में बारिश से सदर अस्पताल के सभी वार्डों की वायरिंग में पानी घुस गया था. इस कारण खराबी आ गई है. इलाज करा रहे मरीज के परिजन ने बताया कि बिजली आ ही नहीं रही है. इस कारण पंखे नहीं चल रहे हैं.पू छने पर अस्पताल कर्मी कहते हैं कि तार ठीक नहीं है.

इसी तरह महिला वार्ड व सामान्य वार्ड में कई बेड के ऊपर खुले तार लटकते रहते हैं. हालांकि, इसको मुख्य स्वीच से कनेक्ट नहीं किया गया है. यहां शॉर्ट सर्किट की समस्या होती है. महिला वार्ड के ऑपरेशन थियेटर के मुख्य दरवाजे के ऊपर बिजली वायरिंग जली हुई है. इसके जरिए ही बिजली आपूर्ति हो रही है. प्रसव वार्ड के दरवाजे के ऊपर भी यही हाल है. यहां चार माह पूर्व शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी.

आईसीयू की वायरिंग ठीक है. लेकिन इसके सामने दवा स्टोर के दरवाजे की दीवार के पास मेन स्वीच के तार लटक रहे हैं. सामान्य ऑपरेशन थियेटर के मुख्य दरवाजे की दीवार के बगल में नाले से बिजली का तार सटा हुआ है. अधीक्षक प्रकोष्ठ से सटे ओपीडी कक्षों व प्रसव वार्ड में कई तार लटकते मिले. यहां हर रोज 12 सौ मरीज और उनके परिजन आते हैं.

इस तरह मेडिसीन वार्ड के गलियारे व अंदर दोनों वार्ड में ज्यादातर वायरिंग खराब हो चुकी है. बोर्ड में यदि मोबाइल चार्ज करने या कूलर चलाने के लिए प्लग लगाया जाता है तो चिंगारी निकलती है. कमोबेश यही हाल अन्य वार्डों का भी है. इस तरह की स्थिति ईएनटी जाने के लिए सीढ़ी के पास की है. यहां वायरिंग देखने से ही लगता है कि वर्षों पुराना है.

बर्न वार्ड में भी इस तरह की बदइंतजामी है. अस्पताल कर्मियों ने कहा कि इमरजेंसी से लेकर अन्य वार्डों में लगी कई महंगी मशीनों पर खतरा है. इलाज के लिए मशीनें चालू की जाती हैं तो बोर्ड में प्लग को दबाकर लगाना पड़ता है.

वही अधीक्षक सुनील कुमार शाही ने बताया कि कई बार बिजली वायरिंग को लेकर विभाग को सूचना दी जा चुकी है. इसके बाद भी पहल नहीं हो रही है. मरीजों की सुरक्षा का हवाला देकर भी कई पत्र बिजली विभाग को लिखे जा चुके है. अपितु काम नहीं हो रहा है, तो इसमें क्या किया जा सकता है.

एसकेएमसीएच में पीआईसीयू व ऑपरेशन थियेटर को छोड़कर लगभग सभी 16 वार्डों में बिजली वायरिंग सही नहीं है. इस तरह की स्थिति सदर अस्पताल की भी है. सदर अस्पताल का हाल यह है कि सामान्य ऑपरेशन थियेटर में तार झूल रही है. सबसे खराब स्थिति महिला वार्ड की है. जर्जर वायरिंग से भविष्य में कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

रिपोर्ट : अभय राज

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