वर्तमान बोर्ड के चार साल के कार्यकाल में महापौर सुरेश कुमार को दूसरी बार अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी है। 15 जून 2019 में भी उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था। जब 25 पार्षदों ने उनको हटाने के लिए प्रस्ताव के समर्थन में मत दिया था, लेकिन 11 जुलाई को हुए महापौर के चुनाव में उन्होंनें फिर से जीत हासिल कर ली थी। उन्होंने वार्ड तीन के पार्षद राकेश कुमार को पराजित किया था। अब देखना है कि महापौर के होने वाले चुनाव में वे दोबारा किस्मत आजमाते हैं या नहीं। हालांकि उन्होंने एक सत्र में दो बार अविश्वास प्रस्ताव लाने के खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में वाद दायर किया है।

प्रस्ताव पर चर्चा में पांच पार्षदों ने लिया हिस्सा : महापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में पांच पार्षदों ने अपनी बात रखी। चर्चा में वार्ड 20 के पार्षद संजय कुमार केजरीवाल, वार्ड 21 के पार्षद केपी पप्पू, वार्ड 28 के पार्षद राजीव कुमार पंकू, वार्ड 47 की पार्षद गीता देवी, वार्ड छह के पार्षद जावेद अख्तर ने हिस्सा लिया। बैठक से महापौर समेत सात पार्षदों अनुपस्थित रहे। अनुपस्थित पार्षदों में महापौर सुरेश कुमार समेत वार्ड 11 की पार्षद प्रमिला देवी, वार्ड 12 की पार्षद शहनाज खातून, वार्ड 15 की पार्षद अंजू कुमारी, वार्ड 39 की पार्षद मंजू देवी, 37 की पार्षद गार्गी सिंह एवं वार्ड 41 की पार्षद सीमा झा शामिल रहीं।

नंद कुमार प्रसाद साह को मिली धमकी : मुजफ्फरपुर : ‘आप बहुत ज्यादा बोल रहे हैं। कम बोलिए नहीं हमेशा के लिए मुंह बंद कर दिया जाएगा।’ यह धमकी मिली है सशक्त स्थायी समिति सदस्य एवं वार्ड 46 के पार्षद नंद कुमार प्रसाद साह को। उन्होंने आरोप लगाया है कि उपमहापौर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हुए बैठक में भाग लेने के बाद जैसे ही आडिटोरियम के बाहर निकल अपनी गाड़ी पर बैठे, मुंह में गमछा लपेटे एक आदमी आया और उनको धमकी देकर चला गया। उन्होंने कहा कि निगम को मदारी से मुक्त कराना है। वह एक बार फिर निगम में हावी होना चाहता है। पार्षद साथ दे तो वे मदारी को निगम में घुसने नहीं देंगे।

Source : Dainik Jagran

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