जिले में कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले अस्पतालों की जांच जारी है। बुधवार को धावा दल ने शहर के प्रसाद एवं मां जानकी अस्पताल में जांच की। इसमें यह बात सामने आई कि इलाज में कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है। इसके अलावा बिल में पारदर्शिता नहीं है। दोनों अस्पतालों की जांच नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय, डीआरडीए निदेशक चंदन चौहान एवं टाउन डीएसपी रामनरेश पासवान ने की।
जांच टीम ने पाया कि बैरिया स्थित मां जानकी अस्पताल के कोविड वार्ड में भी लोगों का आना-जाना जारी था। इसे देखने वाला कोई नहीं था। लोगों को सैनिटाइज करने की भी व्यवस्था यहां नहीं थी। रोस्टर भी कोरोना प्रोटोकॉल के अनुकूल नहीं था। वहीं कोरोना मरीजों के बिल में पारदर्शिता नहीं थी।
टीम ने ब्रह्मपुरा स्थित प्रसाद अस्पताल का भी जायजा लिया। यहां बायो मेडिकल कचरा के निष्पादन को लेकर बड़ी लापरवाही सामने आई। अस्पताल में मेडिकल कचरा उठाव की व्यवस्था नहीं होने से संक्रमण फैलने का खतरा था। नगर आयुक्त ने बताया कि इसके लिए अस्पताल की ओर से व्यवस्था होनी चाहिए थी। मां जानकी अस्पताल में कचरा निस्तारण का बेहतर प्रबंध दिखा। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि यहां दो समय कचरा का उठाव एजेंसी द्वारा किया जाता है।
80 केंद्रों पर 5797 लोगों ने लिया टीका
जिले में 80 केंद्रों पर 5797 लोगों ने टीका लिया। इनमें सबसे अधिक 18 से 44 वर्ग वाले लोग पहुंचे। 18 वर्ष के 3605 ने पहली डोज, 51 स्वास्थ्य कर्मियों में ने पहली डोज व 8 ने दूसरी डोज का टीका लिया। फ्रंटलाइन वर्कर में पहली डोज 238 व 25 ने दूसरी डोज का टीका लिया। 45-60 वर्ष की आयु वर्ग में पहली डोज में 575 व दूसरी डोज में 410 लोगों ने टीका लिया। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ.एके पांडेय ने बताया कि 4744 ने पहली व 940 लोगों ने दूसरी डोज ली।
Input: Dainik Jagran