आज दिनांक 24 जुलाई को लाफिंग बुद्धा फाउंडेशन की इकाई टीम मुजफ्फरपुर द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए जन जागरूकता एवं पेड़ को कटने से बचाने हेतु महावीर झंडा दिखाकर साइकिल यात्रा का शुभारंभ गरीब स्थान मंदिर मुजफ्फरपुर से हुआ। लाफिंग बुद्धा फाउंडेशन की इकाई टीम मुजफ्फरपुर के युवाओं का जत्था सिद्धार्थ झा एवं राजीव के नेतृत्व में बक्सवाहा (मध्य प्रदेश) के लिए साइकिल से रवाना हुआ। शनिवार दिनांक 24 जुलाई को पर्यावरण संरक्षण के लिए जन जागरूकता एवं पेड़ को कटने से बचाने हेतु साइकिल यात्रा को लाफिंग बुद्धा फाउंडेशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष धीरज भारद्वाज व टीम मुजफ्फरपुर के कार्यकारी समाजसेवी सदस्यगण ने झंडा दिखाकर रवाना किया। इस साइकिल यात्रा में शामिल युवा 20 दिनों में करीब 800 किमी की दूरी तय कर बक्सवाहा (मध्य प्रदेश) पहुंचेंगे। मौके पर अभिषेक आनंद रिशु आर्य, मृणाल कृष्णा अंकित भारद्वाज ने कहा कि साइकिल यात्रा के माध्यम से पेड़ को कटने से बचाने हेतु पर्यावरण संरक्षण के लिए जन जागरूकता जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। इस यात्रा के पीछे उनका उद्देश्य पर्यावरण को बचाना और विदेशों के तर्ज पर साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है, ताकि हमारा पर्यावरण सुरक्षित व प्रदूषण मुक्त हो सके।
कितने महत्वपूर्ण हैं बुंदेलखंड के जंगल
समूचा बुंदेलखंड लंबे समय से सूखे की मार झेल रहा है. यहां की खेती पूर्ण रूप से मानसून पर निर्भर है. क्षेत्र के छतरपुर, सागर, पन्ना तथा दमोह जिला आपस में जंगलों से जुड़े हुए और घिरे हुए हैं. पन्ना से उमरिया तक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व तथा मडियादो हटा के इलाके से बफर जोन जुड़ा हुआ है. इसी तरह जबेरा से रानी दुर्गावती अभयारण्य से लेकर सागर जिले के नौरादेही अभयारण्य तक पूरा इलाका वन्य प्राणियों के लिए सुरक्षित आवास का काम करता है. इसके अतिरिक्त आदिवासी समुदायों की रोजी रोटी के लिए यह जंगल प्रमुख आधार है. यहां से प्राप्त वनोपज के कारण आदिवासियों रोजी रोटी चलती है, तो शासन को अच्छी खासी आमदनी भी होती है. इसी तरह समय पर बारिश एवं तापमान को नियंत्रित करने का काम भी यह जंगल करते हैं. ऐसे में जंगल को काटे जाने से बुंदेलखंड का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ जाएगा.
कितने पेड़ कटेंगे
बक्सवाहा में 300 हेक्टेयर का जंगल काटा जाना प्रस्तावित है, जिसमें 2 लाख 15 हजार 800 से अधिक पेड़ काटे जाएंगे, जिसमें सागौन, शीशम, गूलर, महुआ, अचार, कैंथ, इमली, नीम आदि के वृक्ष शामिल हैं. हीरा खदान के लिए सरकार ने यह क्षेत्र 50 साल के लिए आदित्य बिरला ग्रुप को दिया है.
होगा जन जागरूकता
टीम मुजफ्फरपुर के पर्यावरण प्रेमी और सिद्धार्थ झा ने जंगल को बचाने के लिए लोगों को अपने साथ लोगों को जोड़ने की मुहिम छेड़ दी है. सिद्धार्थ झा कहते हैं वह अपने साथियों के साथ साइकल यात्रा द्वारा बक्सवाहा जाकर जन जागरूकता करेंगे.
जंगल कटा तो रेगिस्तान हो जाएगा क्षेत्र
टीम मुजफ्फरपुर के धीरज भारद्वाज एवं रिशु आर्य (समाजसेवी) कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट से सरकार का भला होगा, आम जनता का कुछ भी भला होने वाला नहीं है. यदि हीरा खदान से भला होता तो पन्ना सबसे गरीब जिला न होता, जबकि वहां पर विश्व प्रसिद्ध हीरा खदान है. इस प्रोजेक्ट से क्षेत्र में सूखा बढ़ेगा तथा समूचा छतरपुर जिला रेगिस्तान में परिवर्तित हो जाएगा. एक तो वैसे ही समूचा बुंदेलखंड कम वर्षा वाला सूखाग्रस्त एरिया है, उस पर जब खदानों में ब्लास्ट होगा तो पृथ्वी की अधोसंरचना बिगड़ जाएगी। लोगों को इस जंगल को बचाने के लिए आगे आना चाहिए. लाफिंग बुद्धा फाउंडेशन की इकाई टीम मुजफ्फरपुर के अलावा अन्य पर्यावरण प्रेमियों को इस जंगल को बचाने की मुहिम के लिए सूचना दी गई है. सभी संगठन मिलकर इसे बचाने के लिए अपना जन जागरूकता करें.