राज्य में बड़ी संख्या में जमीन संबंधी मामले लंबित हैं। इसके एक प्रमुख कारण में राजस्व कर्मचारियों की कमी भी है। इसे देखते हुए राज्य में शीघ्र ही 38 सौ राजस्व कर्मचारियों की बहाली की जाएगी। इसके अलावा अंचलों व राजस्व कार्यालयों में कार्य संस्कृति में भी बदलाव लाया जाएगा। ये बातें राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय ने कहीं। विभाग के पदाधिकारियों के साथ वे यहां एमआइटी के सभागार में पहली प्रमंडलस्तरीय समीक्षा बैठक  के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा, राज्य में भूमि सुधार को लेकर लगातार निर्णय लिए जा रहे हैं। अंचलाधिकारियों को राजस्व के अलावा दूसरे काम में नहीं लगाए जाने का आदेश दिया जा चुका है। उन्हें अधिक से अधिक कार्यालयों में समय देने को कहा गया है।

मंत्री ने कहा, आज प्रमंडल के जिलों में दाखिल-खारिज, जमाबंदी, एलपीसी आदि की स्थिति की समीक्षा की गई। राजस्व पदाधिकारियों को इन मामलों के त्वरित निष्पादन का निर्देश दिया गया है। कार्य में पारदर्शिता बरतने को कहा गया है। ऑनलाइन दाखिल-खारिज के मामले अत्यधिक संख्या में खारिज किए गए। अधिक रिजेक्शन को लेकर इसकी जांच कराई जा रही है। बिना सही कारण आवेदनों को रिजेक्ट करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

डाटा इंट्री ऑपरेटरों की ओर से की जा रही गड़बड़ी

मंत्री ने कहा कि अंचलों में कार्यरत डाटा इंट्री ऑपरेटरों द्वारा गड़बड़ी की जा रही है। उनकी गड़बडिय़ों को पकडऩे व नियंत्रित करने के लिए एमआइएस की नियुक्ति की जाएगी। सरकारी जमीन के अतिक्रमण को लेकर उन्होंने कहा, ऐसी जमीन को चिह्नित करने के लिए कहा गया है। इसके बाद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जाएगी। बैठक में प्रमंडलीय आयुक्त मनीष कुमार के साथ प्रमंडल के छह जिलों के समाहर्ता, अपर समाहर्ता, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी,डीसीएलआर, भ-अर्जन पदाधिकारी एवं अंचल अधिकारी मौजूद थे। साथ ही निदेशक लैंड रिकॉर्ड एवं सर्वे जय सिंह, संयुक्त सचिव वीरेंद्र कुमार पासवान व कंचन कुमार, संयुक्त निदेशक चकबंदी नवल किशोर व भूदान आयोग के सदस्य विनोद कुमार झा की भी उपस्थिति रही।

Input: Dainik Bhaskar

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