बिहार के मुजफ्फरपुर में कोरोना (Corona Death) से होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. यह जानलेवा वायरस लगातार लोगों को अपना निवाला बना रहा है. बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस से पीड़ित 19 मरीजों ने दम तोड़ दिया है वहीं 618 नए पॉजिटिव (Bihar Corona Positive Case) केसे सामने आए हैं. मौत का यह आंकड़ा सिर्फ संस्थागत है यानी जिनकी मौत अस्पतालों में हुई है. होम आइसोलेशन और ग्रामीण इलाकों में होने वाली मौत सामने नहीं आ रही हैं क्योंकि लोग भी इसे सामाजिक प्रतिष्ठा का मामला बताकर तथ्य को छिपा रहे हैं.
गांवों में कोरोना से होने वाली मौत पर हाय तोबा भी मच रहा है. इसका खुलासा मोतीपुर के एक गांव में तब हुआ जब एसकेएमसीएच में एक कोरोना मरीज की मौत के बाद शव को जब गांव पहुंचाया गया तो कुछ लोगों ने सार्वजनिक श्मशान में शव के दाह संस्कार पर रोक लगा दी. चिंता की बात है कि पिछले चौबीस घंटों में जिन 19 लोगों की जान गई है उनमें 14 मौत बिहार के बड़े सरकारी अस्पताल एसकेएमसीएच में हुई है.
मरने वालों में 26 साल की महिला से लेकर 70 साल के बुजुर्ग तक शामिल हैं. जिले के फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश दुर्गेश मणि त्रिपाठी का निधन कोरोना संक्रमण से हो गया. जज दुर्गेश की 16 अप्रैल को पॉजिटिव रिपोर्ट आई थी और 23 अप्रैल को उन्हें पटना रेफर कर दिया गया था, वहीं इलाज के दौरान बुधवार को उनकी मौत हो गई.सूत्र बताते हैं कि अधिकांश मौत ऑक्सीजन की कमी की वजह से हो रही है. बुधवार को कोरोना पॉजिटिव सरकारी एंबुलेंस चालक संतोष की मौत एसकेएमसीएच में हो गई. उसके साथी एंबुलेंस चालकों ने आरोप लगाया कि संतोष को समय से ऑक्सीजन नहीं मिल पाया जबकि प्रशासन का दावा है एसकेएमसीएच में ऑक्सीजन की भरपूर आपूर्ति की जा रही है.
संक्रमण के तूफानी रफ्तार को देखते हुए गुरुवार से जांच में तेजी लाई जा रही है. शहर के सभी 49 वार्डों में 16 नए जांच केंद्र खोले गए हैं जहां 3-3 वार्डों के लोग कोरोना वायरस टेस्ट करवाएंगे. इस बीच प्रखंडों से कोरोना टेस्ट में बाधा उत्पन्न होने की सूचनाएं मिल रही है. कई केंद्रों पर किट नहीं होने की वजह से जांच प्रभावित हो रही है. सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी ने बताया है कि स्वास्थ्य विभाग से किट की आपूर्ति डिमांड के हिसाब से बहुत कम है. प्रखंडों में जांच कराने के लिए 3000 किट प्रत्येक दिन चाहिए जो नहीं मिल पा रहे हैं.
Input: Newe18