निजी स्कूलों की म’नमानी पर शि’कंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। किसी भी स्थिति में निजी स्कूल अब म’नमाने तरीके से फीस में इजाफा नहीं कर सकेंगे। डीईओ स्तर से निजी विद्यालय में फीस संरचना की जानकारी लेनी है। इसमें यह देखा जाएगा कि वर्तमान में कितनी फीस वसूली जा रही है और इसमें होने वाली वृद्धि सालाना 7 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है। इसके अलावा यह भी देखा जाएगा कि निजी स्कूल एक्स्ट्रा चार्ज नहीं कर सके।

अक्सर देखा जाता है कि फीस में वृद्धि नहीं करने पर साइड से चार्ज जोड़ दिया जाता है। इसकी मॉनिटरिंग डीईओ स्तर से होगी। प्रमंडलीय आयुक्त ने शुक्रवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर निजी विद्यालयों में शुल्क विनियम अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन के लिए निर्देश दिए। साथ ही आदेश दिया कि निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों का नामांकन किया जाए। आरडीडीई के स्तर से इसका पालन कराया जाएगा।

तैयार होगी कक्षावार फीस संरचना, अगली बैठक में ब्योरा होगा पेश

कक्षावार फीस संरचना को लेकर विवरणी तैयार होगी। इसी आधार पर निजी स्कूलों को फीस लेनी है। इसकी पूरी रिपोर्ट अगली बैठक में रखी जाएगी। प्रमंडलीय आयुक्त पंकज कुमार ने निजी स्कूलों के प्राचार्यों को निर्देश दिया कि 25 फीसदी सीटों पर गरीब बच्चों का नामांकन कराया जाए। आयुक्त ने विद्यालयों के खिलाफ शिकायतों का निपटारा 30 दिनों के भीतर किए जाने का निर्देश दिया है। कहा गया है कि अगर निर्धारित अवधि में जांच प्रक्रिया पूरी नहीं की जाती है तो अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। बैठक में निजी स्कूलों के प्रतिनिधि के रूप में प्राचार्य, शिक्षक और अन्य उपस्थित हुए।

अभिभावक प्रतिनिधि ने भी बैठक में रखीं अपनी बातें

बैठक में उपस्थित स्कूलों के प्रतिनिधियों के साथ ही अभिभावक प्रतिनिधी ने भी अपनी बातें रखीं। आॅक्सफोर्ड विद्यालय के प्राचार्य ने कहा कि निजी विद्यालयों में गरीब बच्चों का नामांकन लिया जाता है। लेकिन, छात्रों के पास ड्रेस, किताब समेत अन्य सामग्रियों की कमी के कारण बच्चे बाद में स्कूल आना बंद कर देते हैं। डीएवी के प्रतिनिधि ने बताया कि उनके यहां लगभग 10 हजार बच्चे हैं। इसमें 25 प्रतिशत गरीब बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। अभिभावक प्रतिनिधि संजीव कुमार ने बताया कि फीस के अलावा बच्चों से हर वर्ष नामांकन व कई तरह के अन्य शुल्क वसूले जाते हैं।

Input : Dainik Bhaskar

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