तीन युवकों ने मुक्तिधाम क्षेत्र के आसपास के गरीब बच्चों की तकदीर ही बदल कर रख दी. तीनों युवकों सुमित कुमार, सुमन सौरभ और अभिराम कुमार ने अप्पन पाठशाला के जरिए उन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया, जो कभी शवयात्रा के दौरान डाले जाने वाले पैसों को चुनने का काम करते थे. अबतक अप्पन पाठशाला से करीब 71 बच्चे जुड़ चुके हैं.

अप्पन पाठशाला की शुरुआत साल 2017 में हुई. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले बेतिया के छात्र सुमित कुमार जब एक शवयात्रा में शामिल होने यहां आए तो उन्होंने आसपास के गरीब बच्चों को पैसे चुनते देखा. तभी से सुमित ने इन बच्चों को पढ़ाने की ठान ली. उनके इस काम में सीतामढ़ी के रहने वाले सुमन सौरभ और मुशहरी के मझौली धर्मदास के निवासी अभिराम कुमार ने खूब साथ दिया.

तीनों युवकों ने मुक्तिधाम के दफ्तर के बरामदे में अप्पठ पाठशाला के ज़रिए बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. पहले दिन पाठशाला में 9 बच्चे आए, फिर देखते ही देखते बच्चों की संख्या 60 हो गई. इस वक्त पाठशाला में कुल 71 बच्चे हैं और यहां कक्षा 6 तक की पढ़ाई हो रही है. फिलहाल सभी बच्चों का पास के एकसरकारी स्कूल में नाम लिखाया गया है।

बच्चे हर शाम पौने 4 बजे अप्पन पाठशाला आ जाते हैं. सफाई के बाद चार बजे से कक्षा शुरू होती है. व्यावहारिक ज्ञान देने के बाद कोर्स की पढ़ाई होती है. शाम 6 बजे राष्ट्रगान के साथ कक्षा समाप्त हो जाती है.

Input: Live Hindustan

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